
Akhilesh Yadav का भाजपा और नीतीश कुमार पर निशाना: जयप्रकाश नारायण की जयंती पर सियासी टकराव
अखिलेश यादव ने हाल ही में जयप्रकाश नारायण की जयंती के अवसर पर भाजपा और बिहार के मुख्यमंत्री Nitish Kumar पर तीखे हमले किए। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह समाजवादी विचारकों को श्रद्धांजलि देने तक नहीं दे रही है, जबकि नीतीश कुमार को भी सरकार से समर्थन वापस लेने का मौका बताया। यह घटना उस समय हुई जब अखिलेश यादव को लखनऊ में जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा पर माला चढ़ाने से रोका गया।
भाजपा पर आरोप: लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन
Akhilesh Yadav ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान नहीं कर रही है। उन्होंने दावा किया कि भाजपा ने उन्हें और समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को जयप्रकाश नारायण की जयंती मनाने से रोका। अखिलेश यादव ने कहा, “यह एक बड़ी विडंबना है कि जो लोग देश की आजादी के लिए लड़े, आज उन्हीं को श्रद्धांजलि देने में अड़चनें डाली जा रही हैं।”
भाजपा के खिलाफ बोलते हुए, अखिलेश ने कहा, “भाजपा सरकार हमसे न केवल हमारे त्योहार मनाने का अधिकार छीन रही है, बल्कि हमारे महान समाजवादी नेताओं की स्मृति को भी अपमानित कर रही है।” इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह स्थिति लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खतरा है, और यह समाजवादियों के खिलाफ भाजपा की सोची-समझी साजिश है।
नीतीश कुमार पर तंज: समर्थन वापस लेने का मौका
अखिलेश यादव ने केवल भाजपा को ही नहीं बल्कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी इस मुद्दे में घसीटा। उन्होंने नीतीश कुमार को याद दिलाया कि वह जेपी आंदोलन से उभरे हुए नेता हैं और यह उनके लिए सही समय है कि वह भाजपा सरकार से समर्थन वापस लें।
Akhilesh Yadav ने कहा, “नीतीश कुमार के लिए यह मौका है कि वह उस सरकार से समर्थन वापस लें जो समाजवादियों को जयप्रकाश नारायण की जयंती पर श्रद्धांजलि देने की अनुमति तक नहीं दे रही है।”
यह बयान नीतीश कुमार के प्रति अखिलेश यादव की नाराजगी को दर्शाता है, क्योंकि नीतीश कुमार का राजनीतिक करियर जयप्रकाश नारायण के आंदोलन से जुड़ा हुआ है। अखिलेश ने यह भी कहा कि नीतीश कुमार को इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ खड़ा होना चाहिए, क्योंकि उन्होंने भी समाजवादी आंदोलनों में हिस्सा लिया था।
प्रतिमा पर माला अर्पण करने से रोके जाने की घटना
अखिलेश यादव को लखनऊ में जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा पर माला चढ़ाने से रोका गया था। इसको लेकर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं में काफी नाराजगी थी, और सपा कार्यालय के बाहर भारी संख्या में कार्यकर्ता जुटे थे। अखिलेश यादव के समर्थक बैरिकेड्स तोड़ने के लिए तैयार थे, लेकिन पुलिस की सख्ती के कारण टकराव की स्थिति टल गई।
जब अखिलेश यादव को प्रतिमा तक जाने की अनुमति नहीं मिली, तो उन्होंने सपा कार्यालय के अंदर ही प्रतीकात्मक रूप से माला अर्पण किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि वह किसी भी तरह के टकराव की स्थिति नहीं चाहते थे, इसीलिए उन्होंने बैरिकेड्स नहीं तोड़े। उन्होंने यह भी कहा कि अगर वह चाहते, तो बैरिकेड्स को तोड़ सकते थे, लेकिन उन्होंने त्योहार के दिन टकराव से बचने का निर्णय लिया।
प्रशासन और सपा कार्यकर्ताओं के बीच तनाव
इस पूरे मामले में प्रशासन और सपा कार्यकर्ताओं के बीच तनाव बना रहा। कार्यकर्ता लगातार प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे और बैरिकेड्स तोड़ने की धमकी दे रहे थे। हालांकि, अखिलेश यादव के शांतिपूर्ण रुख के चलते स्थिति नियंत्रण में आ गई।
पुलिस अधिकारियों ने अखिलेश यादव से मुलाकात की और उनसे स्थिति को शांत करने की अपील की। इसके बाद अखिलेश यादव ने अपने घर के बाहर जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा पर माला अर्पण किया। यह एक सांकेतिक कदम था, लेकिन इसने भाजपा और प्रशासन के खिलाफ सपा की नाराजगी को और बढ़ा दिया।

अखिलेश का बयान: समाजवादियों का अपमान
अखिलेश यादव ने अपने बयान में कहा कि भाजपा सरकार समाजवादियों का अपमान कर रही है। उन्होंने कहा, “हम समाजवादी लोग जिस तरीके से सम्मान देते रहे हैं, उसी तरीके से सम्मान करते रहेंगे।” उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि जयप्रकाश नारायण जैसे महान समाजवादी विचारकों का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा सरकार समाजवादी पार्टी के डीएनए को समझने में नाकाम रही है। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के सिद्धांत जयप्रकाश नारायण के विचारों के खिलाफ नहीं जा सकते, और भाजपा इस सच्चाई को अनदेखा कर रही है।
जेडीयू का जवाब
Akhilesh Yadav के बयान पर जेडीयू की तरफ से भी प्रतिक्रिया आई। जेडीयू के प्रवक्ता राजीव रंजन ने अखिलेश यादव के बयान को हैरान करने वाला बताया। उन्होंने कहा, “यह बयान जेपी के जीवन मूल्यों के विपरीत है। समाजवादी पार्टी का आचरण जयप्रकाश नारायण के सिद्धांतों से मेल नहीं खाता है।”
राजीव रंजन ने यह भी कहा कि जनता ऐसी संकीर्ण राजनीति को पसंद नहीं करती। उन्होंने अखिलेश यादव पर आरोप लगाया कि वह रात के अंधेरे में सक्रिय होते हैं और ऐसी राजनीति कर रहे हैं जो जेपी के विचारों के खिलाफ है।
निष्कर्ष
Akhilesh Yadav का यह बयान समाजवादी विचारधारा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने न केवल भाजपा बल्कि नीतीश कुमार पर भी तीखे हमले किए, जो खुद जयप्रकाश नारायण के आंदोलन से उभरे हुए नेता हैं। यह घटना न केवल एक राजनीतिक टकराव का प्रतीक है, बल्कि समाजवादी और भाजपा विचारधाराओं के बीच गहरे वैचारिक अंतर को भी उजागर करती है।