
कंप्यूटर का इतिहास: चार्ल्स बैबेज और आधुनिक युग की क्रांति
कंप्यूटर, आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी का सबसे अद्भुत आविष्कार है, जिसने मानव जीवन को पूरी तरह से बदल दिया है। इसका इतिहास हज़ारों साल पुराना है और यह दिखाता है कि कैसे मानव की आवश्यकता ने नए आविष्कारों को जन्म दिया। इस लेख में, हम कंप्यूटर के विकास की कहानी, इसके आविष्कारकों, और भारत में इसके आगमन की विस्तार से चर्चा करेंगे। साथ ही, हम जानेंगे कि क्यों चार्ल्स बैबेज को “कंप्यूटर के जनक” कहा जाता है।
कंप्यूटर की शुरुआत: अबेकस से मैकेनिकल कंप्यूटर तक
कंप्यूटर का इतिहास 3000 साल पहले चीन से शुरू होता है, जब अबेकस नामक उपकरण का आविष्कार किया गया। यह लकड़ी का फ्रेमवर्क था, जिसमें दो पैरलल तारों पर मनके लगे होते थे। यह गणना के लिए उपयोग किया जाता था और आज भी कई स्कूलों में बच्चों को गिनती सिखाने के लिए इसका उपयोग होता है।
डिजिटल कंप्यूटर का शुरुआती स्वरूप 1642 में फ्रांस के गणितज्ञ ब्लेसी पास्कल द्वारा तैयार किया गया था। उन्होंने एक ऐसी मशीन बनाई जो संख्या जोड़ने और घटाने का काम करती थी। इसे आज के कैलकुलेटर का प्रारंभिक रूप माना जाता है। इसके बाद 1673 में जर्मनी के वैज्ञानिक गॉटफ्रेड विल्हेम लिबनिट्ज़ ने पास्कल की मशीन में सुधार करते हुए उसे गुणा और भाग करने में सक्षम बनाया।
चार्ल्स बैबेज: कंप्यूटर के जनक (Father of Computer)
1822 में, चार्ल्स बैबेज (Father of Computer) ने कंप्यूटर की दुनिया में क्रांति लाते हुए एक ऐसी मशीन का डिज़ाइन तैयार किया जो गणना को स्वचालित कर सके। इसे उन्होंने डिफरेंशियल इंजन का नाम दिया। इस मशीन का मुख्य उद्देश्य जटिल गणनाओं को सटीक और तेज़ी से करना था।
1837 में, बैबेज ने एनालिटिकल इंजन का प्रस्ताव रखा, जो आधुनिक कंप्यूटर का आधार बना। यह मशीन गणना के लिए प्रोग्राम का उपयोग करती थी और इसमें चार मुख्य घटक थे:
- मिल: यह गणना करने वाला हिस्सा था।
- स्टोर: डेटा को संग्रहीत करने के लिए।
- रीडर: डेटा इनपुट के लिए।
- प्रिंटर: आउटपुट प्रदान करने के लिए।
चार्ल्स बैबेज का यह योगदान कंप्यूटर विज्ञान की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हुआ। उनके इन विचारों ने आधुनिक कंप्यूटर के विकास के लिए आधारशिला रखी, जिस कारण उन्हें “फादर ऑफ कंप्यूटर” कहा जाता है।
पहला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर: एबीसी और ईएनआईएसी
कंप्यूटर के इतिहास में एक और बड़ा कदम 1942 में उठाया गया, जब जॉन विंसेंट अतानासॉफ और उनके छात्र क्लिफोर्ड बेरी ने पहला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर, एबीसी (अतानासॉफ-बेरी कंप्यूटर), विकसित किया। यह मशीन छोटे पैमाने पर गणना करने में सक्षम थी।
इसके बाद, 1945 में अमेरिका ने ईएनआईएसी (इलेक्ट्रॉनिक न्यूमेरिकल इंटीग्रेटर एंड कंप्यूटर) विकसित किया। यह दुनिया का पहला प्रोग्रामेबल, इलेक्ट्रॉनिक और जनरल-पर्पस डिजिटल कंप्यूटर था। इसकी विशेषता यह थी कि इसे जटिल गणनाओं के लिए प्रोग्राम किया जा सकता था।
कंप्यूटर की पाँच पीढ़ियाँ
कंप्यूटर के विकास को पाँच अलग-अलग चरणों में वर्गीकृत किया गया है, जिन्हें हम कंप्यूटर की पीढ़ियाँ कहते हैं:
- पहली पीढ़ी (1940-1956):
इस दौर के कंप्यूटरों में वैक्यूम ट्यूब्स का उपयोग किया गया। ये मशीनें आकार में बड़ी, भारी और धीमी थीं। - दूसरी पीढ़ी (1956-1963):
इस पीढ़ी में ट्रांजिस्टर का उपयोग किया गया, जिससे कंप्यूटर छोटे, तेज़ और अधिक विश्वसनीय हो गए। - तीसरी पीढ़ी (1964-1971):
इस दौर में इंटीग्रेटेड सर्किट्स (ICs) का आविष्कार हुआ। इससे कंप्यूटर के आकार और गति में सुधार हुआ। - चौथी पीढ़ी (1971-2010):
माइक्रोप्रोसेसर के आविष्कार ने कंप्यूटर को व्यक्तिगत उपयोग के लिए सक्षम बनाया। इस दौर में डेस्कटॉप और लैपटॉप कंप्यूटर प्रचलित हुए। - पाँचवीं पीढ़ी (2010-वर्तमान):
यह पीढ़ी कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) पर आधारित है। आज के कंप्यूटर इंसानों की तरह सोचने और समस्याओं का समाधान करने में सक्षम हैं।
भारत में कंप्यूटर का आगमन
भारत में कंप्यूटर युग की शुरुआत 1952 में हुई, जब पहला कंप्यूटर कोलकाता के इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टीट्यूट में स्थापित किया गया। यह एक बड़ा और जटिल उपकरण था।
1956 में, भारत ने इंग्लैंड से एचईसी 2एम नामक कंप्यूटर आयात किया। इसके बाद 1966 में भारत ने अपना पहला स्वदेशी कंप्यूटर विकसित किया, जिसे आईएसआई-जेडेडयू कहा गया। यह भारतीय वैज्ञानिकों की तकनीकी प्रतिभा का प्रतीक था।
1991 में, भारत ने अपना पहला सुपर कंप्यूटर, परम 8000, विकसित किया। इसे भारतीय वैज्ञानिक डॉ. विजय भाटकर की अगुवाई में बनाया गया। यह सुपर कंप्यूटर भारत को तकनीकी क्षेत्र में एक नई ऊंचाई पर ले गया।
निष्कर्ष
कंप्यूटर का इतिहास हमें यह सिखाता है कि कैसे मानवीय जिज्ञासा और आविष्कारशीलता ने हमारी दुनिया को बदल दिया। चार्ल्स बैबेज का योगदान इस दिशा में अतुलनीय है। आज, कंप्यूटर शिक्षा, चिकित्सा, व्यापार, मनोरंजन और संचार सहित हर क्षेत्र में उपयोग किया जा रहा है।
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