
ममता बनर्जी के ‘मृत्यु कुंभ’ बयान पर बवाल: सियासी संग्राम तेज
Mamta Banerjee Mahakumbh | पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एक बार फिर अपने बयान को लेकर सुर्खियों में हैं। हाल ही में, उन्होंने महाकुंभ को ‘मृत्यु कुंभ’ कहकर संबोधित किया, जिससे बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। उनके इस बयान पर बीजेपी सहित हिंदू समाज और संत समुदाय ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि ममता बनर्जी ने यह बयान मुस्लिम वोट बैंक को साधने के लिए दिया है।
विधानसभा में दिया बयान, संत समाज नाराज
ममता बनर्जी ने यह बयान पश्चिम बंगाल विधानसभा में दिया, जहां उन्होंने महाकुंभ में हुई भगदड़ की चर्चा करते हुए उसे ‘मृत्यु कुंभ’ कहा। उनके इस बयान को अपमानजनक बताते हुए संत समाज ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है और उनसे माफी की मांग की है।
हिंदू संतों और धार्मिक संगठनों का कहना है कि महाकुंभ एक पवित्र धार्मिक आयोजन है, जिसे लाखों श्रद्धालु आस्था के साथ मनाते हैं। ऐसे में ममता बनर्जी का यह बयान हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है।
बीजेपी का पलटवार: ‘वोट बैंक की राजनीति कर रही हैं ममता’
बीजेपी नेताओं ने ममता बनर्जी पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि वह अपने मुस्लिम वोट बैंक को खुश करने के लिए इस तरह के बयान दे रही हैं। बीजेपी नेता मोहन यादव ने कहा कि ममता बनर्जी को अपने इस बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए।
उन्होंने कहा, “ममता बनर्जी खुद को ब्राह्मण बताती हैं, लेकिन क्या उन्होंने कभी महाकुंभ में स्नान किया है? ईद पर नमाज पढ़ने के लिए वह कोलकाता के रेड रोड पर जाती हैं, लेकिन हिंदू पर्वों पर उनका रवैया अलग क्यों होता है?”
हिंदू धर्मगुरुओं ने दी कड़ी प्रतिक्रिया
हिंदू धर्मगुरुओं ने ममता बनर्जी के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि यदि उन्हें हिंदू धर्म के संस्कारों की समझ नहीं है, तो उन्हें इस तरह के बयान देने से बचना चाहिए। कुछ संतों ने तो यहां तक कह दिया कि ममता बनर्जी को अपना नाम बदल लेना चाहिए।
एक संत ने कहा, “अगर वह सनातन धर्म और उसके संस्कारों को नहीं मानतीं, तो उन्हें अपना नाम ‘ममता खान’ रख लेना चाहिए और कुंभ में आने की जरूरत नहीं है।”
क्या है महाकुंभ का महत्व?
महाकुंभ मेला हिंदू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जो हर 12 साल में प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में आयोजित होता है। इस मेले में करोड़ों श्रद्धालु और साधु-संत गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान कर अपने पापों का प्रायश्चित करते हैं। यह आयोजन भारतीय संस्कृति और आस्था का प्रतीक है।
ममता बनर्जी की राजनीति पर सवाल
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ममता बनर्जी अपने बयान से हिंदू और मुस्लिम वोटरों के बीच संतुलन साधने की कोशिश कर रही हैं। पश्चिम बंगाल में मुस्लिम आबादी का एक बड़ा प्रतिशत है, और टीएमसी हमेशा से उनके समर्थन के लिए प्रयासरत रही है। लेकिन महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजन पर विवादित टिप्पणी कर उन्होंने हिंदू मतदाताओं को नाराज कर दिया है।
क्या यह बयान चुनावी रणनीति का हिस्सा?
Mamta Banerjee Mahakumbh | विशेषज्ञों का मानना है कि पश्चिम बंगाल में अगले चुनावों को देखते हुए यह बयान दिया गया हो सकता है। बीजेपी ने हिंदू मतदाताओं को साधने के लिए इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है। वहीं, ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी अब इस विवाद को शांत करने की कोशिश में लगी हुई है।
निष्कर्ष
ममता बनर्जी का ‘मृत्यु कुंभ’ बयान निश्चित रूप से विवादित है और इससे सियासी घमासान तेज हो गया है। महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा का प्रतीक भी है।
Mamta Banerjee Mahakumbh | इस तरह के बयान न केवल राजनीतिक रूप से नुकसानदायक हो सकते हैं, बल्कि धार्मिक भावनाओं को भी आहत कर सकते हैं। अब यह देखना होगा कि ममता बनर्जी अपने इस बयान पर माफी मांगती हैं या नहीं, और यह मुद्दा आगे कितनी सियासी गरमाहट लाता है।