Ram madhav:क्यों राम माधव को बनाया गया जम्मू-कश्मीर का प्रभारी? बीजेपी की रणनीति पर एक नजर latest news

ram madhav | राम माधव कौन हैं?

चुनाव की घोषणा के बाद बीजेपी ने जिसे जम्मू-कश्मीर का प्रभारी बनाया, उन्हों ने अबतक जम्मू कश्मीर में बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बीजेपी ने राम माधव को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव का प्रभारी बनाया है, तो राम माधव कौन हैं, आपको बता दें कि उन्होंने कश्मीर में पीडीपी के साथ गठबंधन से लेकर धारा 370 हटाने तक कई अहम भूमिकाएं निभाई हैं।

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जम्मू- कश्मीर विधानसभा चुनाव: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही राजनीतिक दलों की गतिविधियां भी तेज हो गई हैं. इस बीच, भारतीय जनता पार्टी ने आगामी जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के पूर्व महासचिव राम माधव को चुनाव प्रभारी नियुक्त किया है। जम्मू-कश्मीर में राम माधव की बहुत अहम भूमिका रही है। चाहे वो पीडीपी और बीजेपी का गठबंधन हो या फिर धारा 370 हटाने की पूरी स्क्रिप्ट। इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी को भी J & K का चुनाव प्रभारी नियुक्त किया गया है।

जहां तक राम माधव की बात है तो माधव का जन्म 22 अगस्त 1964 को आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले में हुआ था। वह इंजीनियरिंग के छात्र रहे हैं। उन्होंने आंध्र प्रदेश से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा डिग्री हासिल की है। इसके बाद माधव ने कर्नाटक के मैसूर विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री भी प्राप्त की। उस समय राम माधव संघ से जुड़े थे। वह संघ से होते हुए एक सोची समझी रणनीति के तहत भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए।

राम माधव ने कई किताबें लिखीं राम माधव एक नेता, लेखक और विचारक भी हैं। इतना ही नहीं वह थिंक टैंक इंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष भी हैं। माधव हिंद महासागर सम्मेलन, आसियान-भारत युवा शिखर सम्मेलन जैसे वैश्विक कार्यक्रमों के क्यूरेटर रहे हैं। हाल ही में डॉ. माधव ने जी-20 के हिस्से के रूप में धर्म-20 फोरम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इससे पहले, माधव ने 2014-20 तक भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में काम किया था। इतना ही नहीं, उन्होंने जम्मू-कश्मीर, असम और भारत के अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों के राजनीतिक मामलों को भी संभाला। राम माधव सिर्फ एक नेता ही नहीं बल्कि एक लेखक भी हैं। उन्होंने अंग्रेजी और तेलुगु में कई किताबें भी लिखी हैं।

राम माधव ने कई विदेश यात्राएं भी की हैं। माधव ने रूस में वल्दाई डिस्कशन क्लब, इंडोनेशिया में आर 20 फोरम, सिंगापुर में शांगरी-ला डायलॉग, कनाडा में हैलिफ़ैक्स सिक्योरिटी फोरम, रूस में सोची यूरेशियन इंटीग्रेशन फोरम, चीन में ब्रिक्स पॉलिटिकल फोरम और थाईलैंड में विश्व शांति सम्मेलन जैसे मंचों को संबोधित किया है।

Ram madhav ने जम्मू-कश्मीर में भी अहम भूमिका निभाई है. चाहे वो भारतीय जनता पार्टी और पीडीपी का गठबंधन हो या फिर धारा 370 को लेकर लिखी गई पूरी स्क्रिप्ट। अनुच्छेद 370, AFSPA,पाकिस्तान से आए शरणार्थियों के भावी जैसे मुद्दों पर दोनों राजनीतिक दलों के विचार बिल्कुल विपरीत थे। हालांकि, 2014 के जुलाई महीने में पीएम मोदी और अमित शाह ने माधव को पार्टी का मुख्य मध्यस्थि बनाकर जम्मू-कश्मीर भेजा था।

Ram madhav की रिपोर्ट के आधार पर मुफ़्ती मोहम्मद सईद के साथ भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी। मगर यह सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई थी।

जम्मू कश्मीर में पीडीपी-बीजेपी गठबंधन का अंत

जम्मू-कश्मीर की राजनीति में साल 2015 में पीडीपी और बीजेपी के बीच गठबंधन सरकार बनी थी। कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत गठबंधन की रचना की गई। गठबंधन का लक्ष्य राज्य में शांति, स्थिरता और विकास लाना है, खासकर ऐसे समय में जब कश्मीर घाटी में आतंकवाद और हिंसा चरम पर थी। साथ ही 19 जून 2018 को बीजेपी ने इस गठबंधन को ख़त्म करने की घोषणा कर दी थी।

बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने कहा कि पीडीपी के साथ यह गठबंधन अब संभव नहीं है। भाजपा ने दावा किया कि पीडीपी कश्मीर में सुरक्षा स्थिति में सुधार करने में विफल रही है और गठबंधन सरकार को कड़े कदम उठाने के लिए पर्याप्त छूट नहीं मिल रही है। तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए इस गठबंधन से अलग होने का फैसला किया गया है।

Ram madhav की गठबंधन से अलग होने में भी अहम भूमिका थी। उन्होंने ही केंद्रीय नेतृत्व को इस बात से अवगत कराया था कि अब बीजेपी का PDP के साथ गठबंधन में सरकार चलाना संभव नहीं है। भाजपा ने पीडीपी पर आतंकवादियों और अलगाववादी ताकतों के प्रति नरम रुख अपनाने का आरोप लगाया था। इसलिए राज्य में उग्रवाद और हिंसा कम होने के बजाय बढ़ती जा रही थी।

Ram madhav की कश्मीर से धारा 370 हटाने में थी अहम भूमिका

बीजेपी की इस घोषणा के बाद जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू हो गया, जिससे कश्मीर की राजनीतिक स्थिति और अधिक जटिल और अनिश्चित हो गई थी। मगर बाद में 2019 के लोकसभा चुनाव में दूसरी बार प्रचंड बहुमत से एनडीए सरकार केंद्र में बनने के बाद मोदी सरकार ने पहला काम जम्मू – कश्मीर से धारा 370 हटाने का किया और धारा 370 रखने के बाद जम्मू कश्मीर में शांति और सुरक्षा बहाल हो गई है और पहले से स्थिति बहुत बेहतर हो गई है।

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