बंगाल सरकार का अत्याचार विरोधी विधेयक: लोगों की आंखों में धूल
Rape case in kolkata | पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधानसभा में बलात्कार और यौन अपराधों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान करने वाला विधेयक पारित कर दिया है। राज्य के बलात्कार विरोधी विधेयक में बलात्कारियों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान है।
यदि पीड़िता की मृत्यु हो जाती है या वह कोमा में रहती है। इसमें पैरोल के बिना आजीवन कारावास और अन्य यौन उत्पीड़न अपराधियों के लिए सजा का भी प्रावधान है। पहले कहा गया था कि ऐसे मामलों में सजा सुनाए जाने के 10 दिन के भीतर फांसी दे दी जाएगी, लेकिन पारित विधेयक में इसका जिक्र नहीं किया गया।
Rape case in kolkata: कोई भी समझ सकता है कि ऐसा कानून संभव नहीं है। संवैधान के मुताबिक उचित कानूनी प्रक्रिया के बिना मृत्युदंड पर अमल संभव नहीं है। किसी व्यक्ति को मौत की सज़ा तभी दी जा सकती है जब उच्च न्यायपालिका इसकी अनुमति दे। यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि देश को झकझोर देने वाले दिल्ली निर्भया कांड के दोषियों को फांसी देने में आठ साल लग गए।
भारतीय दंड संहिता, जो 1 जुलाई से लागू है, में पहले से ही दुष्कर्म या जघन्य अपराधों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान है। नई भारतीय दंड संहिता में दुष्कर्म के अपराधों के लिए मृत्यु दंड का प्रावधान होने के बावजूद भी क्या पश्चिम बंगाल का यह विधेयक विधानसभा में पस होना लोगों की आंखों में धूल झोंकने बराबर ? ममता बनर्जी को केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई नई भारतीय दंड संहिता को पश्चिम बंगाल में सख्ती से लागू करना चाहिए। बंगाल सरकार को मौजूदा कानूनों को सख्ती से लागू करने पर जोर देना चाहिए। ममता खुद मुख्यमंत्री हैं, गृह विभाग उनके पास है, तो वह किससे न्याय मांग रही हैं? ऐसा कानून अदालत में टिक नहीं सकता। किसी अपराध के लिए सज़ा के मुद्दे पर न्यायालयों का अधिकार क्षेत्र है। ऐसे कानून का कोई मतलब नहीं है.
Rape case in kolkata | फोकस इस बात पर होना चाहिए कि कानून का अनुपालन कैसे हो और नए कानून में त्वरित जांच और त्वरित सुनवाई के लिए जो समय-सीमा तय की गई है, उसका सख्ती से पालन कैसे हो और अगर इसका पालन नहीं किया गया तो इसके परिणाम क्या होंगे? सिर्फ यह कह देने से काम नहीं चलेगा कि ऐसे मामलों की जांच 21 दिन में पूरी कर ली जायेगी।
क्योंकि कई गंभीर मामलों में बंगाल पुलिस का खराब प्रदर्शन कई बार सामने आ चुका है। इसलिए, यह कहना मुश्किल है कि यौन अपराधियों के लिए मृत्युदंड वाले विधेयक के पारित होने से यौन अपराधी हतोत्साहित होंगे। बिल पास कराकर ममता सरकार यह धारणा बनाना चाहती है कि वह ऐसे अपराधों के प्रति संवेदनशील है, बिल लोगों की आंखों में धूल झोंकता है।
कानून में खामियां हो सकती हैं लेकिन उससे भी अधिक चिंताजनक है बलात्कार की राजनीति। आमतौर पर बलात्कार को एक राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन कोलकाता में एक महिला के साथ बलात्कार और हत्या के बाद जो विरोध प्रदर्शन हुआ वह स्वत:स्फूर्त था और सभी जानते हैं कि इसे दबाने के लिए वहां की सरकार ने क्या कदम उठाए थे।
एंटी रेप बिल पास होने से पहले ममता बनर्जी ने दूसरे राज्यों में रेप की पूरी लिस्ट सामने रखी थी। उन्होंने महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने में विफल रहने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के इस्तीफे, गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे और सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के इस्तीफे की मांग की। इस तरह ममता राजनीति करने से नहीं चूकीं। महिलाओं से रेप और हत्या के मामले में जहां सीबीआई अभी भी धीरे-धीरे तस्वीर साफ करने की कोशिश कर रही है, वहीं ममता बनर्जी ने एंटी रेप बिल पास कराकर लोगों की सहानुभूति पाने की बचकानी कोशिश की है।
Rape case in kolkata
पिछले महीने कोलकाता के आर जी कर हॉस्पिटल में ट्रेनी डॉक्टर से रेप-हत्या की घटना के मामले में पीड़िता के परिवार ने कोलकाता पुलिस पर चौंकाने वाले आरोप लगाए हैं। पीड़ित परिवार का कहना है कि पुलिस ने पीड़िता का अंतिम संस्कार जल्दबाजी में कराकर मामले को दबाने की कोशिश की। 300 से 400 पुलिसकर्मियों ने उन्हें घेर लिया और पीड़िता का तुरंत अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
आर जी कर अस्पताल के डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए पीड़ित के परिवार ने यह भी आरोप लगाया कि एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने मामले को रफा-दफा करने के लिए उन्हें रिश्वत देने की भी कोशिश की थी।
Rape case in kolkata | पीड़िता के पिता ने कहा कि पुलिस शुरू से ही मामले को दबाने में जुटी रही। हमें बेटी का शव देखने भी नहीं दिया गया और उसे पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया। हमें अपनी बेटी का चेहरा देखने के लिए साढ़े चार घंटे तक इंतजार करना पड़ा।. बाद में, जब शव हमें सौंपा गया, तो एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने हमें रिश्वत की पेशकश की, जिसे हमने तुरंत अस्वीकार कर दिया। कुछ पुलिस अधिकारियों ने कोरे कागज पर मेरे हस्ताक्षर लेने की भी कोशिश की लेकिन मैंने उसे फाड़कर फेंक दिया।