Atal Bihari Vajpayee:अटल बिहारी वाजपेयी: एक कवि हृदय राजनेता की विरासत

Atal Bihari Vajpayee:आज अटल बिहारी वाजपेयी जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि देते हुए हम एक भारतीय राजनीति के महान राजनेता, अजयशत्रू, वक्ता, और कवि को याद करते हैं, जिन्होंने भारतीय राजनीति और समाज पर गहरा प्रभाव डाला। वाजपेयी जी का निधन 16 अगस्त 2018 को हुआ था, और उनकी मृत्यु के बाद भी, उनके देश,दुनिया और समाज के प्रति योगदान को लोग हमेशा याद करते हैं।

Atal Bihari Vajpayee biography in Hindi

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 26 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था। अटल बिहारी वाजपेई का जन्म वहीं के ग्वालियर – मध्य प्रदेश में हुआ था कृष्ण बिहारी वाजपेई का व्यक्तित्व एक कवि हृदय था। और यह कवि हृदय उन्हें अपने पिता से विरासत में मिला था, क्योंकि कृष्ण बिहारी वाजपेई एक शिक्षक और शानदार कवि भी थे।

अटल बिहारी वाजपेई के शब्दों में ऐसा जादू था कि लोग मंत्रमुग्ध होकर उन्हें सुनते थे। लोकसभा के लिए 10 बार और राज्यसभा के लिए दो बार चुने गए, वाजपेयी एक राजनेता से ज्यादा एक राजनीतिज्ञ के रूप में जाने गए। उन्होंने न केवल एक अच्छे राजनेता बल्कि एक अच्छे कवि के रूप में भी काफी प्रसिद्धि हासिल की है। उन्होंने एक बेहतरीन वक्ता के तौर पर भी लोगों का दिल जीता है।

वाजपेयि जी की वह कविता जो आज भी लोगो के दिलो में बसती है “गीत नही गाता हूं” सुनाई उपर पोस्ट किए गए विडियो में

वाजपेयी भारत के 11वें प्रधानमंत्री बने। सबसे पहले वह 1996 में 13 दिनों के लिए प्रधानमंत्री बने और फिर 19 मार्च 1998 से 19 मई 2004 तक प्रधानमंत्री के रूप में सत्ता का दरवाजा उनके हाथ में रहा। अटल बिहारी वाजपेयी ने 1942 में राजनीति में प्रवेश किया जब भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्हें अपने भाई प्रेम वाजपेयी के साथ 23 दिनों के लिए गिरफ्तार किया गया था।

मनाली: वाजपेई जी की पसंदीदा जगह

Atal Bihari Vajpayee, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, को उनकी उत्कृष्ट राजनीतिक और साहित्यिक क्षमता के लिए हमेशा जाना जाता है। वह न केवल एक महान नेता थे, बल्कि एक संवेदनशील कवि और प्रकृति प्रेमी भी थे। उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हिमाचल प्रदेश के मनाली से भी जुड़ा हुआ है, जिसे वह बहुत पसंद करते थे। मनाली अटल जी का पसंदीदा स्थल था,मनाली, हिमाचल प्रदेश का एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, बर्फ से ढके पहाड़ों, हरे-भरे जंगलों और शांति के लिए जाना जाता है।

अटल बिहारी वाजपेयी इस जगह से गहराई से जुड़े थे। वह अपने व्यस्त राजनीतिक जीवन से समय निकालकर अक्सर मनाली आते थे और यहां के प्राकृतिक वातावरण में सुकून पाते थे।मनाली के नजदीक प्रीणी गांव वाजपेयी जी का एक निजी निवास था जिसे उन्होंने गोद लिया था और उनको विकसित बनाया।

यह घर वाजपेयी जी के लिए एक आरामदायक आश्रय था, जहां वह अक्सर अपने परिवार,राजनेता और दोस्तों के साथ समय बिताते थे। यहां रहकर उन्होंने कई कविताएँ और लेख लिखे, जो उनके भावनात्मक और आध्यात्मिक पक्ष को दर्शाते हैं।

“मनाली मत जइयो, गोरी राजा के राज में

जइयो तो जइयो, उड़िके मत जइयो, अधर में लटकीहौ, वायुदूत के जहाज में

जइयो तो जइयो, संदेसा न पइयो, टेलीफ़ोन बिगरे हैं, मिर्धा महाराज में

जइयो तो जइयो, मसाल ले के जइयो, बिजुरी भइ बैरिन अँधेरिया रात में

जइयो तो जइयो, त्रिशूल बाँध जइयो, मिलेंगे खालिस्तानी राजीव के राज में

मनाली तो जइहों, सुरग सुख पइहों, दुख नीको लागे, मोहे राजा के राज में”

— अटल बिहारी वाजपेई

लोकसभा चुनाव 2004 में करारी शिकस्त के बाद दिसंबर 2005 में, वाजपेयी ने राजनीति से संन्यास ले लिया। वाजपेयी 10 बार लोकसभा के लिए और दो बार राज्यसभा के लिए चुने गए। उन्होंने मोरारजी देसाई के मंत्रिमंडल में विदेश मंत्री का पद भी संभाला।

बीजेपी के संस्थापकों में से एक हैं अटल बिहारी वाजपेई लोक सभा में विपक्ष के नेता होने के बावजूद भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का पक्ष रखने के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार द्वारा भेजे जाते थे और जब भी सरकार देश के हित में फैसला लेती थी तब विपक्ष के होने के बावजूद भी सरकार का खुलेआम समर्थन भी करते थे।1977 में जब मोरारजी भाई देसाई प्रधानमंत्री बने तो अटल बिहारी वाजपेई विदेश मंत्री बने।

Atal Bihari Vajpayee का 16 ऑगस्ट 2018 में 94 वर्ष की आयु में निधन हो गया। 25 दिसंबर 2014 को उन्हें ‘भारत रत्न’ की उपाधि से सम्मानित किया गया। वाजपेई जी आजीवन और विवाहित रहे, उन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र और समाज के लिए समर्पित कर दिया था।जबकि उनके जन्मदिन 25 दिसंबर 2015 से ‘सुशासन दिवस’ घोषित किया गया है।

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