“रोज़गार की सच्चाई: क्या आपकी नौकरी सुरक्षित है?”| Employment exchange 2025

2025 में रोज़गार की चुनौतियाँ: क्या हालात बेहतर होंगे या चिंताजनक?

Employment exchange | 2025 का वर्ष रोज़गार के मामले में चुनौतियों से भरा हुआ रहने वाला है। नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (NSO) के हाल ही में जारी आंकड़ों से संकेत मिलता है कि असंगठित क्षेत्रों में रोजगार की स्थिति अब भी गंभीर बनी हुई है।

असंगठित क्षेत्रों के उद्यमों में 2023-24 के बीच 13% की वृद्धि दर्ज की गई, लेकिन इस वृद्धि को रोज़गार के संदर्भ में सकारात्मक मान लेना एक बड़ी भूल हो सकती है। यह स्थिति देश की समग्र आर्थिक स्थिति के लिए चिंता का विषय है।

असंगठित क्षेत्र में रोजगार वृद्धि: एक भ्रम? | Employment exchange

NSO के आंकड़ों के अनुसार, असंगठित क्षेत्र के छोटे उद्यमों में वृद्धि तो हुई है, लेकिन इसमें अधिकतर वृद्धि “वन अकाउंट एंटरप्राइजेस” यानी व्यक्तिगत या पारिवारिक दुकानों में हुई है। इन उद्यमों में बाहरी कर्मचारियों को काम पर नहीं रखा जाता। इसका मतलब है कि यह वृद्धि वास्तविक आर्थिक विकास का प्रतिबिंब नहीं हो सकती।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह आंकड़े अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति को सही तरीके से नहीं दर्शाते। असंगठित क्षेत्र के छोटे उद्योग आमतौर पर कर और सरकारी नियमों से बचते हैं और बड़े सर्वेक्षणों में भी नजरअंदाज हो जाते हैं।

पिछले दशक में जीएसटी और डिजिटलाइजेशन जैसे सुधारों ने अर्थव्यवस्था को संगठित करने का प्रयास किया है, लेकिन असंगठित क्षेत्र की इस वृद्धि को केवल सांख्यिकीय बढ़ोतरी माना जा सकता है।

शहरी रोजगार में गिरावट और कृषि क्षेत्र की वृद्धि

शहरी क्षेत्रों में रोजगार में गिरावट और कृषि क्षेत्र में वृद्धि के आंकड़े चिंता पैदा करते हैं। यह विकासशील अर्थव्यवस्था के सही संकेत नहीं हैं। एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था में लोगों को कृषि के अलावा अधिक उत्पादक क्षेत्रों में काम करने के अवसर मिलने चाहिए। लेकिन मौजूदा आंकड़े यह संकेत देते हैं कि लोग अपनी आजीविका के लिए छोटे व्यापार शुरू करने या कृषि पर निर्भर हो रहे हैं।

क्या यह अस्वस्थ आर्थिक संकेत हैं?

Employment exchange | असंगठित क्षेत्र में रोजगार की वृद्धि को स्वस्थ आर्थिक संकेत नहीं माना जा सकता। इसका कारण यह है कि:

  1. कम उत्पादकता:
    असंगठित क्षेत्रों में रोजगार आमतौर पर कम उत्पादक होते हैं और अर्थव्यवस्था को लंबे समय में ज्यादा योगदान नहीं दे पाते।
  2. कम स्थिरता:
    व्यक्तिगत या पारिवारिक उद्यम स्थायी रोजगार का विकल्प नहीं होते। ये उद्यम किसी भी आर्थिक झटके से जल्दी प्रभावित हो सकते हैं।
  3. आर्थिक असंतुलन:
    शहरी रोजगार में गिरावट यह दर्शाती है कि देश का विकास मॉडल असंतुलित है। कृषि क्षेत्र पर बढ़ती निर्भरता दिखाती है कि औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों में रोजगार सृजन की कमी है।

सरकारी योजनाओं का प्रभाव

हाल ही में, सरकार की छोटी बचत योजनाओं में निवेश करने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है। यह स्पष्ट नहीं है कि यह रोजगार के अवसर बढ़ने का संकेत है या मौजूदा नौकरियों के केंद्रीकरण का। इस स्थिति ने अर्थव्यवस्था में रोजगार के सही आकलन को और जटिल बना दिया है।

समस्याओं का समाधान कैसे हो सकता है?

आर्थिक और रोजगार से जुड़ी इन समस्याओं का समाधान करने के लिए सरकार और नीति निर्माताओं को निम्नलिखित कदम उठाने होंगे:

  1. औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों का विकास:
    रोजगार सृजन के लिए औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों में निवेश बढ़ाना होगा। इससे कृषि पर निर्भरता कम होगी और लोग अधिक उत्पादक क्षेत्रों में काम कर सकेंगे।
  2. कौशल विकास:
    युवाओं के लिए कौशल विकास कार्यक्रम शुरू किए जाने चाहिए, ताकि वे बदलती तकनीकी आवश्यकताओं के अनुरूप काम कर सकें।
  3. असंगठित क्षेत्र को संगठित बनाना:
    असंगठित क्षेत्र को संगठित करने और उसे कर और नियामक दायरे में लाने के लिए प्रभावी नीतियां लागू की जानी चाहिए।
  4. नवाचार और स्टार्टअप को प्रोत्साहन:
    स्टार्टअप्स और नवाचार को प्रोत्साहित करके अधिक रोजगार सृजन किया जा सकता है।

निष्कर्ष

2025 का वर्ष रोजगार के मामले में आसान नहीं होगा। हालांकि, सरकार के पास आर्थिक सुधार और रोजगार सृजन के लिए कई विकल्प हैं। सही दिशा में उठाए गए कदम न केवल रोजगार की स्थिति में सुधार ला सकते हैं बल्कि देश की आर्थिक प्रगति को भी गति देंगे।

Employment exchange | असंगठित क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने और शहरी रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए ठोस नीतिगत प्रयासों की आवश्यकता है।यह आवश्यक है कि सरकार, उद्योग और समाज मिलकर इस दिशा में काम करें ताकि रोजगार का भविष्य बेहतर और सुरक्षित बन सके।

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