किसानों का ट्रैक्टर मार्च और रेल रोको आंदोलन: जानें उनकी प्रमुख मांगें और आंदोलन की पूरी जानकारी | Farmers Protest
प्रस्तावना
देशभर में Farmers Protest एक बार फिर चर्चा का विषय बना हुआ है। अपनी मांगों को लेकर किसानों ने बड़े स्तर पर प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। 16 दिसंबर को किसानों ने ट्रैक्टर मार्च का आयोजन किया, जो पंजाब को छोड़कर बाकी राज्यों में भी देखने को मिलेगा। इसके साथ ही, 18 दिसंबर को किसानों ने रेल रोको आंदोलन का ऐलान किया है।
यह प्रदर्शन शंभू बॉर्डर पर बैठे किसानों के समर्थन में किया जा रहा है, जिन्हें दिल्ली मार्च करने से तीन बार रोका जा चुका है। ऐसे में किसानों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है और वे सरकार से अपनी मांगों पर सुनवाई चाहते हैं। आइए जानते हैं किसानों के इस आंदोलन की पूरी जानकारी और उनकी प्रमुख मांगें।
क्यों कर रहे हैं किसान प्रदर्शन?
किसानों का यह Farmers Protest कई प्रमुख मुद्दों पर आधारित है। उनका कहना है कि सरकार उनकी मांगों को नज़रअंदाज़ कर रही है और बातचीत से बच रही है। किसान नेता गुरनाम सिंह का कहना है कि सरकार टालमटोल कर रही है और उनकी मांगों पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रही।
प्रदर्शन की मुख्य वजहें:
- दिल्ली मार्च पर रोक: किसानों को तीन बार दिल्ली जाने से रोका गया।
- एमएसपी की गारंटी: न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी किसानों की सबसे बड़ी मांग है।
- लखीमपुर मामले में न्याय: लखीमपुर खीरी हिंसा में शहीद किसानों को न्याय दिलाने की मांग की जा रही है।
- बिजली संशोधन विधेयक 2020 का विरोध: किसानों का मानना है कि यह विधेयक उनके हितों के खिलाफ है।
- शहीद किसानों के लिए मुआवजा: दिल्ली आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की मांग है।
- राष्ट्रीय आयोग का गठन: किसानों के अधिकारों और समस्याओं के समाधान के लिए राष्ट्रीय आयोग गठित करने की मांग है।
16 दिसंबर: ट्रैक्टर मार्च
आज यानी 16 दिसंबर को किसानों ने पूरे देश में ट्रैक्टर मार्च निकालने की घोषणा की है। यह मार्च पंजाब को छोड़कर बाकी सभी राज्यों में भी किया जा रहा है। प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि यह मार्च शंभू बॉर्डर पर बैठे किसानों के समर्थन में आयोजित किया गया है।
ट्रैक्टर मार्च की मुख्य बातें:
- पंजाब के अलावा पूरे देश के राज्यों में किसान ट्रैक्टर मार्च कर रहे हैं।
- यह प्रदर्शन सरकार पर दबाव बनाने के लिए किया जा रहा है।
- किसानों का कहना है कि अगर उनकी मांगों पर जल्द सुनवाई नहीं हुई तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।
18 दिसंबर: रेल रोको आंदोलन
ट्रैक्टर मार्च के दो दिन बाद, 18 दिसंबर को किसानों ने रेल रोको आंदोलन करने का ऐलान किया है। इस दिन पूरे देश में रेलों को रोका जाएगा। यह आंदोलन भी शंभू बॉर्डर पर बैठे किसानों के समर्थन में किया जा रहा है।
रेल रोको आंदोलन का उद्देश्य:
- सरकार को अपनी मांगों पर ध्यान देने के लिए मजबूर करना।
- यह दिखाना कि किसान अब चुप बैठने वाले नहीं हैं और अपनी मांगों को लेकर गंभीर हैं।
सरकार की भूमिका और तैयारियां
प्रशासन ने इस बार प्रदर्शन से निपटने के लिए पूरी तैयारी कर ली है। पिछली बार जो कमियां रह गई थीं, उन्हें सुधारते हुए इस बार दिल्ली-NCR बॉर्डर्स पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।
सरकार की प्रतिक्रिया:
हालांकि, अभी तक सरकार की ओर से किसानों की मांगों पर कोई ठोस बयान नहीं आया है। किसान नेताओं का कहना है कि सरकार संवाद करने में असफल हो रही है और समाधान के लिए कोई इच्छाशक्ति नहीं दिखा रही।
किसानों की प्रमुख मांगें
किसानों की मांगे स्पष्ट हैं और उनके समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
- MSP की कानूनी गारंटी
- बिजली संशोधन विधेयक 2020 को रद्द करना
- लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में न्याय
- शहीद किसानों के परिवारों को मुआवजा
- राष्ट्रीय किसान आयोग का गठन
इन मांगों को लेकर किसान पिछले लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं और सरकार से ठोस कदम की उम्मीद कर रहे हैं।
किसानों का कहना क्या है?
किसान नेता गुरनाम सिंह का कहना है कि सरकार आंदोलन को दबाने की कोशिश कर रही है लेकिन किसान अपनी मांगों से पीछे नहीं हटेंगे। उनका मानना है कि सरकार सिर्फ समय बर्बाद कर रही है और टालमटोल कर रही है।
किसानों की रणनीति:
- ट्रैक्टर मार्च और रेल रोको अभियान के जरिए दबाव बनाना।
- अगर सरकार फिर भी नहीं मानी तो आंदोलन को और तेज करना।
निष्कर्ष
किसानों का यह Farmers Protest उनकी हक की लड़ाई है। MSP की कानूनी गारंटी और बिजली संशोधन विधेयक जैसे मुद्दे किसानों के लिए बेहद अहम हैं। देशभर में किसानों का यह आंदोलन सरकार को उनकी मांगों पर ध्यान देने के लिए मजबूर करने का प्रयास है।
ट्रैक्टर मार्च और रेल रोको आंदोलन से यह स्पष्ट हो जाता है कि किसान अब पीछे हटने वाले नहीं हैं। अगर सरकार जल्द ही उनकी मांगों पर ठोस कदम नहीं उठाती तो आंदोलन का यह स्वरूप और बड़ा हो सकता है।
आखिरी सवाल यह है कि क्या सरकार किसानों की मांगों को गंभीरता से लेगी या फिर यह आंदोलन आने वाले दिनों में और उग्र रूप लेगा?
आपका क्या मानना है? किसानों के आंदोलन पर अपनी राय हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।