
Geeta Press Gorakhpur भारतीय धार्मिक और आध्यात्मिक साहित्य के क्षेत्र में एक ऐसा नाम है जिसे हर भारतीय जानता है। 1923 में जयदयाल गोयनका जी द्वारा स्थापित यह संस्थान हिंदू धर्मग्रंथों और साहित्य के प्रचार-प्रसार में सबसे आगे है। गीताप्रेस का उद्देश्य धार्मिक साहित्य को आम जनता तक बेहद सस्ती कीमत पर पहुंचाना है। यह न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में हिंदू धर्मग्रंथों का सबसे बड़ा प्रकाशनगृह है।
स्थापना की प्रेरणा
Geeta Press Gorakhpur की स्थापना की कहानी भी उतनी ही प्रेरणादायक है जितनी इसकी यात्रा। जयदयाल गोयनका जी, जो एक गहरे धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे, ने श्रीमद्भगवद्गीता के अध्ययन के दौरान श्रीकृष्ण के उपदेशों से प्रेरणा प्राप्त की। गीता के 18वें अध्याय के श्लोक 67-70 में भगवान श्रीकृष्ण ने ज्ञान के प्रचार की महत्ता बताई है। इसे आत्मसात कर जयदयाल जी ने गीता और अन्य धर्मग्रंथों को लोगों तक पहुंचाने का संकल्प लिया।
जब उन्होंने पहली बार गीता प्रकाशित करानी चाही तो प्रकाशन में कई त्रुटियां थीं। जब उन्होंने इस पर आपत्ति जताई, तो प्रकाशक ने कहा, “अगर त्रुटिरहित प्रकाशन चाहिए तो खुद का प्रेस शुरू करें।” इसे दैवी संकेत मानते हुए उन्होंने गोरखपुर में 10 रुपये के किराए पर जगह लेकर Geeta Press Gorakhpur की नींव रखी।
गीताप्रेस की अनूठी विशेषताएं
- बहुभाषी प्रकाशन: Geeta Press Gorakhpur विभिन्न भारतीय भाषाओं जैसे हिंदी, संस्कृत, मराठी, गुजराती, तमिल, तेलुगु, उड़िया, और अंग्रेजी में साहित्य प्रकाशित करता है।
- सस्ती कीमत: इसकी पुस्तकों की कीमत इतनी सस्ती है कि हर वर्ग के लोग इसे खरीद सकते हैं।
- त्रुटिरहित साहित्य: गीताप्रेस का साहित्य व्याकरण और भाषा की त्रुटियों से मुक्त होता है।
- धर्म और संस्कृति का प्रचार: यह संस्थान गीता, रामचरितमानस, उपनिषद, वेद और पुराणों जैसे महत्वपूर्ण ग्रंथों का प्रकाशन करती है।
महान ग्रंथों का प्रकाशन
Geeta Press Gorakhpur द्वारा प्रकाशित साहित्य में श्रीमद्भगवद्गीता, रामचरितमानस, वेद, उपनिषद, और पुराण जैसे ग्रंथ शामिल हैं। इसके अलावा, यह विभिन्न पत्रिकाएं भी प्रकाशित करता है। हिंदी में “कल्याण” और अन्य भाषाओं में “कल्याण-कल्पतरु” इसके प्रसिद्ध पत्रिकाएं हैं। ये पत्रिकाएं धर्म, आध्यात्म, और जीवन मूल्यों पर आधारित लेख प्रस्तुत करती हैं।
संस्थान की कार्यप्रणाली
यह संस्था “वेस्ट बंगाल सोसाइटी एक्ट, 1960” के तहत संचालित होती है। पुस्तक बिक्री में होने वाली हानि की भरपाई संस्थान अपनी संपत्तियों के किराए और औषधि निर्माण से होने वाली आय से करता है।
संस्थान का विस्तार और उपलब्धियां
आज Geeta Press Gorakhpur आधुनिक मशीनों से सुसज्जित है और प्रतिदिन 70,000 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित करता है। अब तक यह 99 करोड़ पुस्तकों का प्रकाशन कर चुका है, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। इसके अलावा, यहां 3,500 से अधिक दुर्लभ पांडुलिपियां संरक्षित हैं।
गीताप्रेस को 2021 में गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। हालांकि, अपने उच्च मूल्यों को बनाए रखते हुए ट्रस्ट ने पुरस्कार राशि को विनम्रतापूर्वक वापस कर दिया।
गीताप्रेस का योगदान
Geeta Press Gorakhpur केवल पुस्तकों का प्रकाशन ही नहीं करता, बल्कि समाज को धर्म और आध्यात्म की ओर प्रेरित करता है। यह संस्था अपने प्रकाशन के माध्यम से करोड़ों लोगों को हिंदू धर्म और संस्कृति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।
निष्कर्ष
Geeta Press Gorakhpur, गोरखपुर भारतीय संस्कृति और धर्म का प्रतीक है। यह संस्था न केवल पुस्तकों का प्रकाशन करती है, बल्कि समाज के नैतिक और आध्यात्मिक उत्थान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हमें इस संस्था का संरक्षण और सहयोग करना चाहिए ताकि यह अपने उद्देश्य में सदैव सफल रहे।
“आइए, Geeta Press Gorakhpur की इस अद्भुत यात्रा का हिस्सा बनें और धर्म, संस्कृति और आध्यात्म की ज्योति को हमेशा प्रज्वलित रखें।”
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1 thought on “कैसे 1 शताब्दी से भी पूराना गीताप्रेस बना धार्मिक ग्रंथों का प्रमुख प्रकाशन केंद्र?| Geeta Press Gorakhpur”