
सेवा, सुशासन और संघर्ष के 24 वर्ष : नरेंद्र मोदी की गुजरात से विश्व तक की ऐतिहासिक यात्रा
7 अक्टूबर 2001 का दिन गुजरात और भारतीय राजनीति के इतिहास में हमेशा यादगार रहेगा। इसी दिन नरेंद्रभाई मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। यह केवल सत्ता संभालने का क्षण नहीं था, बल्कि जनता की सेवा और दूरदर्शी नेतृत्व की शुरुआत थी।
शुरुआती संघर्ष और 2002 की चुनौती
नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री बनने के कुछ महीनों बाद 2002 में गोधरा ट्रेन कांड और उसके बाद दंगे ने पूरे राज्य को झकझोर दिया। हिंसा, मानव क्षति और सामाजिक तनाव ने गुजरात को एक चुनौतीपूर्ण मोड़ पर खड़ा कर दिया।
इस कठिन समय में वरिष्ठ नेता जैसे स्व: अटल बिहारी वाजपेयी, एल.के. अडवाणी और स्व: बाल ठाकरे ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- वाजपेयी जी चाहते थे कि स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री बदले जाएँ।
- अडवाणी ने पार्टी के भीतर हस्तक्षेप कर मोदीजी को मुख्यमंत्री बनाए रखने का निर्णय लिया था।
- बाल ठाकरे ने राजनीतिक दृष्टिकोण से कहा था कि यदि मोदीजी हटाए गए तो भाजपा को गुजरात में नुकसान हो सकता है।
इस प्रकार, नेताओं के मार्गदर्शन और मोदीजी की ठोस निर्णय क्षमता ने राज्य में स्थिर नेतृत्व बनाए रखा।
गुजरात का विकास मॉडल और Vibrant Gujarat
मोदीजी ने संकटों के बीच विकास पर विशेष ध्यान दिया।
- 2003 में Vibrant Gujarat Summit की स्थापना की, जो निवेश को बढ़ावा देने वाला एक वैश्विक मंच बना।
- इस समिट के माध्यम से हजारों करोड़ रुपए के MoUs और औद्योगिक प्रोजेक्ट्स गुजरात आए।
मोदीजी का फोकस रहा: इन्फ्रास्ट्रक्चर, सड़क, बिजली, जल आपूर्ति और उद्योग। उनका मानना था कि जब बुनियादी सुविधाएँ मजबूत होंगी, तभी रोजगार और आर्थिक विकास संभव होगा।

गुजरात मॉडल की विशेषताएँ
- आधुनिकीकरण और बुनियादी ढांचे में निवेश
- औद्योगिक प्रोत्साहन और विदेशी निवेश आकर्षित करना
- शहरी और ग्रामीण विकास में संतुलन
- जन कल्याण और पारदर्शी प्रशासन
विशेषज्ञों ने गुजरात मॉडल की तारीफ की, जबकि आलोचक मानवीय विकास और सामाजिक असमानता पर सवाल उठाते रहे।
राजनीति में मजबूती
2002, 2007 और 2012 की गुजरात विधानसभा और पंचायत चुनावों में भाजपा को लगातार बहुमत मिला। मोदीजी ने मणिनगर निर्वाचन क्षेत्र से लगातार जीत दर्ज की।
- यह राजनीतिक स्थिरता और लोकप्रियता को दर्शाता है।
- राज्य की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और निवेश आकर्षण ने गुजरात को देश और विदेश में एक मॉडल स्टेट के रूप में स्थापित किया।
राष्ट्रीय मंच पर उदय
2014 में मोदीजी ने राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखा। भारतीय जनता पार्टी की ऐतिहासिक लोकसभा जीत के बाद, 26 मई 2014 को वे भारत के प्रधानमंत्री बने।
प्रधानमंत्री मोदी की प्रमुख पहलें:
- डिजिटल इंडिया: देशभर में डिजिटल नेटवर्क और सेवाओं का विस्तार।
- मेक इन इंडिया: औद्योगिक उत्पादन और रोजगार को बढ़ावा।
- स्वच्छ भारत अभियान: ग्रामीण और शहरी भारत में स्वच्छता और स्वास्थ्य सुधार।
- आर्थिक सुधार: GST, बैंकिंग और वित्तीय समावेशन।
गुजरात मॉडल अब पूरे देश में लागू होने लगा, और मोदीजी का नेतृत्व राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त करने लगा।
मोदीजी के नेतृत्व की खास बातें
- जनसेवा और पारदर्शिता: हमेशा जनता के कल्याण को प्राथमिकता।
- संकट प्रबंधन: दंगों और अन्य संकटों में स्थिरता बनाए रखना।
- आर्थिक विकास: Vibrant Gujarat और बुनियादी ढांचे में निवेश।
- राजनीतिक समझदारी: वरिष्ठ नेताओं के मार्गदर्शन और व्यक्तिगत धैर्य से चुनौतियों का सामना।
आलोचना और संतुलन
गुजरात मॉडल की सफलता के बावजूद आलोचना हुई:
- सामाजिक असमानता और मानव विकास सूचकांकों पर प्रश्न।
- कुछ विवादास्पद नीतियों और निर्णयों को लेकर बहस।
लेकिन मोदीजी ने हमेशा दीर्घकालीन विकास और सुशासन को प्राथमिकता दी।
24 वर्षों का सारांश
आज, 7 अक्टूबर 2025 तक, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गुजरात ने अद्वितीय प्रगति की है।
- औद्योगिक निवेश, तकनीकी उन्नति और कृषि सुधार
- शहरी और ग्रामीण विकास में संतुलन
- स्थिर राजनीतिक नेतृत्व और रणनीतिक नीतियाँ
यह यात्रा केवल राजनीतिक सत्ता की नहीं, बल्कि संकट, संघर्ष और सेवा का प्रतीक बन गई। गुजरात का विकास मॉडल अब भारत और विश्व में प्रेरणास्त्रोत बन चुका है।