Naysat Gosai: नैसत गोसाई (बापू): “गिर” जंगल की संस्कृति, साहित्य और “एशियाई शेर” के संरक्षक: निस्वार्थ सेवा और समर्पण की मिसाल

Naysat Gosai: आज हम अपने दर्शक मित्रों को बताने जा रहे हैं एक ऐसे शख्स की कहानी जिन्होंने ऐशियाई शेर एवं गिर क्षेत्र की संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित करने, पुनर्जीवित करने और प्रचारित करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। जो विभिन्न माध्यमों से गिर की संस्कृति और इतिहास एवं गिर के गर्व “एशियाई शेर” के प्रति जागरूकता बढ़ाने और समाज के लोगों को अपनी जड़ों से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। जी हां, दोस्तों आज हम बात करेंगे जागृति,समर्पण और सेवा की मिसाल ऐसे नैसत गोसाई के बारे में..

गिर जंगल की संस्कृति और साहित्य का महत्व

गिर की संस्कृति की समृद्ध विरासत में भाषा, साहित्य, कला, नृत्य, संगीत, वन्यजीव और अन्य परंपराएं शामिल हैं। यह संस्कृति गिर और गिर के लोगो के अतीत की धरोहर है, जो उन्हें अपनी पहचान और अस्तित्व की याद दिलाती है। आधुनिकता और वैश्वीकरण के युग में, कई परंपराएँ और रीति-रिवाज लुप्त होने की कगार पर हैं। इसीलिए नैसत गोसाई जैसे जागृत समाजसेवी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है।

फेसबुक पर “आपणु गिर” नाम का ग्रुप बनाकर गिर, एशियाई शेर एवं प्रकृति प्रेमियों को एक प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया

गिर साहित्य ,संस्कृति, इतिहास और एशियाई शेरो पर शोध करते हैं और नई पीढ़ी को सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचारित करके इससे अवगत कराते हैं। गिर क्षेत्र, गुजरात का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो अपने अनूठे और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के लिए विश्वभर में जाना जाता है। इस क्षेत्र का प्रमुख हिस्सा गिर वन है, जो एशियाई शेरों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। गिर क्षेत्र की संस्कृति बहुत ही विविध और रंगीन है, जिसमें आदिवासी एवं मालधारी परंपराएं, लोक संगीत, नृत्य और खानपान की विविधता शामिल है। गिर के लोगों और शेरों के बीच सदियों से एक मज़बूत तालमेल है। नैसत गोसाई ने गिर साहित्य ,संस्कृति, इतिहास और एशियाई शेरो को विश्व भर में प्रसिद्ध करने हेतु Facebook में गुजराती भाषा में “आपणु गिर” नाम का एक ग्रुप बनाया। शुरुआत में इस ग्रुप में बहुत कम संख्या में गिर प्रेमी और वन्यप्रेमी लोग जुड़े थे लेकिन आज 3 लाख से भी ज्यादा लोग इस ग्रुप से जुड़े हुए हैं। इस ग्रुप में एशियाई शेर, मालधारी,गिर साहित्य, संस्कृति ऐसे कई विभिन्न विषयों पर जानकारी पोस्ट की जाती है। कई सारे लोक साहित्यकार,कवि, पुलिस अधिकारी,फॉरेस्ट अधिकारी, राजनेता, समाज सेवक, प्रकृति प्रेमी, गिर प्रेमी, वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर, पत्रकार जैसे वरिष्ठ नागरिक इस ग्रुप से जुड़े हुए हैं।

इस ग्रुप के स्थापक नैसत गोसाई है जिसको गुजरात में लोग बापू के नाम से ज्यादा पुकारते हैं, जिन्हों ने ऐशियाई शेर एवं गिर क्षेत्र की संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित करने, पुनर्जीवित करने और प्रचारित करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने शुरुआत से ही जो लोग गिर प्रेमी है और गिर की संस्कृति से भलीभाती परिचित लोगों को ग्रुप में शामिल किया है। इस प्रकार, गिर के समर्पित व्यक्तित्व आज 3 लाख से अधिक सदस्यों वाला एक विशाल ‘आपणु गिर’ facebook ग्रुप बड़ी सफलता के साथ चला रहे हैं। और गिर की संस्कृति को लोगों तक पहुंचाने का भागीरथ कार्य कर रहे हैं. ‘ आपणु गिर’ ग्रुप से दिन प्रतिदिन अनगिनत लोग जुड़ते जा रहे हैं। जो दर्शाता है कि आज के आधुनिक, भागदौड़ भरे युग में इंसानों को प्रकृति की गोद में शांति की चाहत है। ‘ आपणु गिर’ ग्रुप ऐसे लोगों को प्रकृति के करीब लाने की कोशिश कर रहा है.

गिर साहित्यकारो और कवियों का जन्मस्थान

गिर की भूमि को साहित्य करो और कवियों का जन्मस्थान कहा जाता है। गिर की इस धरती ने विश्व को ढेर सारे विश्वप्रसिद्ध साहित्यकार,संतवाणी कलाकार और कविओ की भेंट दी है।

Gir national park:गिर क्षेत्र का पर्यटन भी इसकी संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है। Gir national park और वन्यजीव अभयारण्य यहाँ के प्रमुख आकर्षण हैं। यहाँ पर्यटक शेर सफारी का आनंद ले सकते हैं और स्थानीय सांस्कृतिक गतिविधियों का अनुभव कर सकते हैं।

Naysat Gosai (बापू) जैसे समाज सेवक एवं प्रकृति प्रेमी अपनी मेहनत और समर्पण से अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने का महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं। उनकी कोशिशों से न केवल गिर की संस्कृति और एशियाई शेरो की पहचान जीवित रहेगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियाँ भी अपनी जड़ों से जुड़ी रहेंगी। इस दिशा में उनके प्रयासों की सराहना और समर्थन करना हम सभी का कर्तव्य है।

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