मल्लिकार्जुन खरगे का बयान: योगी आदित्यनाथ को लेकर उठाए सवाल
UP Election 2024 : उत्तर प्रदेश में उपचुनाव प्रचार दौरान हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बयान ने एक बार फिर से गर्मागर्म बहस छेड़ दी है। उन्होंने उत्तर प्रदेश के CM Yogi पर तंज कसते हुए कहा कि “अगर कोई सन्यासी या साधु है, तो उसे राजनीति में नहीं होना चाहिए।”
बिना नाम लिए खरगे ने कहा कि कई नेता साधु के वेश में राजनीति में रहते हैं, और यदि वे सच में सन्यासी हैं तो उन्हें राजनीति छोड़ देनी चाहिए। आइए जानते हैं कि इस बयान के मायने क्या हो सकते हैं और इसके पीछे क्या तर्क हो सकते हैं।
साधु के वेश में राजनीति का सवाल
मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने बयान में कहा कि कुछ नेता साधु के वेश में समाज में नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने इस ओर इशारा किया कि यदि कोई सन्यासी है, साधु है या संत है, तो उसे धर्म और समाज की सेवा करनी चाहिए, न कि राजनीतिक मंच पर अपने विचारों को रखना चाहिए। उनका कहना था कि यदि कोई व्यक्ति भगवा चोला पहनता है, तो उसे राजनीति से दूर रहना चाहिए, क्योंकि भगवा रंग पवित्रता और शांति का प्रतीक है।
भगवा और सफेद कपड़ों पर टिप्पणी : UP Election 2024
खरगे ने भगवा चोला पहनने वाले नेताओं पर भी टिप्पणी की। उन्होंने पूछा कि ये नेता सफेद कपड़े क्यों नहीं पहनते। सफेद रंग को राजनीति में शांति और निष्पक्षता का प्रतीक माना जाता है।
इस संदर्भ में खरगे का इशारा ये था कि भगवा कपड़े पहनकर कोई नेता स्वयं को धार्मिक प्रतीक के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश कर रहे हैं। वे यह संदेश देना चाहते थे कि राजनीति और धर्म को अलग-अलग रखा जाना चाहिए।
राजनीति में भगवा कपड़े का महत्व
UP Election 2024 : भारतीय राजनीति में भगवा कपड़े पहनने का अर्थ धार्मिकता और संन्यास से जोड़कर देखा जाता है। लेकिन मल्लिकार्जुन खरगे का मानना है कि यदि कोई व्यक्ति भगवा चोला पहनता है, तो उसे राजनीति में नैतिकता का पालन करना चाहिए। उनका कहना था कि “एक तरफ आप भगवा कपड़े पहनते हैं और दूसरी ओर लोगों को भड़काने का काम करते हैं।”
खरगे का यह बयान क्यों महत्वपूर्ण है?
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के इस बयान का राजनीतिक महत्व है। CM Yogi भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के एक प्रमुख नेता हैं और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी हैं।
वे भगवा वस्त्र धारण करते हैं और धार्मिक पहचान रखते हैं, जो उन्हें बीजेपी की हिंदुत्व की राजनीति का एक मजबूत चेहरा बनाता है। खरगे का यह बयान सीधे-सीधे बीजेपी की धार्मिक राजनीति पर चोट करता है और पार्टी की विचारधारा पर सवाल खड़ा करता है।
विवादास्पद बयान और उसकी प्रतिक्रिया
यह पहली बार नहीं है जब मल्लिकार्जुन खरगे ने इस प्रकार का विवादित बयान दिया है। इससे पहले भी लोकसभा चुनावों के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधा था। उनके बयान को बीजेपी के नेताओं ने कांग्रेस की राजनीति का हिस्सा बताया और इसे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया।
राजनीति में धर्म का हस्तक्षेप
भारत में धर्म और राजनीति के बीच एक गहरा संबंध रहा है। लेकिन मल्लिकार्जुन खरगे जैसे नेता यह मानते हैं कि धर्म और राजनीति को अलग-अलग रखना चाहिए। उनका मानना है कि यदि एक व्यक्ति धर्म का प्रचारक है या सन्यासी है, तो उसे राजनीति में शामिल नहीं होना चाहिए। धर्म और राजनीति का घालमेल समाज में एक तरह का भ्रम उत्पन्न करता है, और इससे लोगों के बीच विवाद की स्थिति उत्पन्न होती है।
बीजेपी और कांग्रेस के बीच वैचारिक अंतर
बीजेपी और कांग्रेस की विचारधारा में धार्मिकता और राजनीति को लेकर बहुत बड़ा अंतर है। बीजेपी धर्म और राष्ट्रीयता के मुद्दे पर अपनी राजनीतिक छवि बनाती है, जबकि कांग्रेस धर्मनिरपेक्षता को प्राथमिकता देती है। मल्लिकार्जुन खरगे के इस बयान से यह स्पष्ट है कि कांग्रेस धर्म को राजनीति से अलग रखने के पक्ष में है और मानती है कि धर्म का उपयोग केवल समाज सेवा के लिए किया जाना चाहिए।
निष्कर्ष
UP Election 2024 : मल्लिकार्जुन खरगे का बयान राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है,यह बयान न केवल धार्मिक और राजनीतिक विषयों पर चर्चा को प्रोत्साहित करता है बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत की राजनीति में विचारधाराओं का संघर्ष जारी है।
धर्म का राजनीति में क्या स्थान होना चाहिए, यह सवाल हर चुनाव में उठता है। मल्लिकार्जुन खरगे के इस बयान ने इस चर्चा को एक बार फिर से जीवंत बना दिया है।
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