सोनम वांगचुक हिरासत में: शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर क्यों उठ रहे हैं सवाल?
लद्दाख के सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरणविद् Sonam Wangchuk को दिल्ली पुलिस द्वारा हिरासत में लेने की खबर ने काफी हलचल मचाई है। सोनम वांगचुक, जिन्हें फिल्म “थ्री इडियट्स” के प्रेरणास्त्रोत के रूप में भी जाना जाता है।
पर्यावरण और शिक्षा के क्षेत्र में अपनी अद्वितीय भूमिका के लिए पहचाने जाते हैं। उनके साथ यह घटना तब हुई जब वे लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग के तहत दिल्ली की पैदल यात्रा कर रहे थे।
सोनम वांगचुक की हिरासत का पूरा मामला
Sonam Wangchuk और उनके साथियों को दिल्ली में प्रवेश करते ही दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया। यह हिरासत उस वक्त की गई जब वे अपनी मांगों को लेकर दिल्ली आ रहे थे। सोनम वांगचुक का यह आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण था,
जिसमें वे लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश से पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की मांग कर रहे थे। इस हिरासत ने राजनीतिक हलकों में भी चर्चा का विषय बना दिया है, और विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर तीखे सवाल उठाए हैं।
Sonam Wangchuk अनुच्छेद 370 और लद्दाख की मांग
2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद, लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर एक केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। इस फैसले से लद्दाख के लोगों का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त हो गया, जिसके बाद से वहां के लोगों में नाराजगी है।
Sonam Wangchuk इसी मांग के समर्थन में लगातार संघर्षरत हैं। वे चाहते हैं कि लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए ताकि वहां के लोगों को भूमि और रोजगार में संरक्षण मिल सके।
सोनम वांगचुक का शांतिपूर्ण आंदोलन
Sonam Wangchuk के आंदोलन हमेशा शांतिपूर्ण रहे हैं। इससे पहले भी वे 21 दिनों की भूख हड़ताल कर चुके हैं, जिसमें उन्होंने लद्दाख की स्थानीय मांगों को प्रमुखता से उठाया था। इस बार भी उनका आंदोलन शांति के साथ चल रहा था, लेकिन दिल्ली पुलिस द्वारा उन्हें हिरासत में लेना कई सवाल खड़े करता है। विपक्षी दलों ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताया है।
विपक्ष का आक्रोश और सरकार पर सवाल
सोनम वांगचुक की हिरासत पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने इसे लोकतंत्र का मजाक बताया है। वहीं, दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने भी सवाल किया कि क्या लद्दाख के लिए लोकतांत्रिक अधिकार मांगना गलत है? विपक्ष ने सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए इसे लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताया है।
सोनम वांगचुक कौन हैं?
Sonam Wangchuk एक प्रसिद्ध शिक्षाविद और पर्यावरणविद् हैं, जो Students’ Educational and Cultural Movement of Ladakh (SECMOL) चलाते हैं। वे शिक्षा और पर्यावरण के क्षेत्र में लंबे समय से काम कर रहे हैं और 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद उनकी गतिविधियां और सक्रिय हो गई हैं।
Sonam Wangchuk को फिल्म “थ्री इडियट्स” के किरदार फुंशुक वांगडू के प्रेरणास्त्रोत के रूप में भी जाना जाता है, जिसने उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।
गुरमीत राम रहीम परोल पर, सोनम वांगचुक हिरासत में: विरोधाभास क्यों?
जहां एक ओर Sonam Wangchuk को शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए हिरासत में लिया गया, वहीं दूसरी ओर रेप और हत्या के दोषी गुरमीत राम रहीम को परोल दी गई है। राम रहीम, जो पहले ही 266 दिन जेल से बाहर रह चुका है, को अब 20 दिन की और परोल मिल गई है।
विपक्ष ने इस पर सवाल उठाए हैं कि एक दोषी व्यक्ति को परोल मिल सकती है, जबकि एक शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारी को हिरासत में लिया जाता है। यह विरोधाभास न सिर्फ सरकार की नीति पर सवाल खड़े करता है, बल्कि कानून के दोहरे मापदंडों को भी उजागर करता है।
सोनम वांगचुक के आंदोलन की मांगें
Sonam Wangchuk लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने और उसे पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की मांग कर रहे हैं। वे यह मानते हैं कि लद्दाख की जनता को उनके अधिकार मिलने चाहिए।
जो उन्हें केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिलने के बाद से नहीं मिल पा रहे हैं। इसके अलावा, वे चाहते हैं कि लद्दाख में एक और संसदीय सीट जोड़ी जाए और वहां के लोगों को भूमि और रोजगार में प्राथमिकता मिले।
राम रहीम की परोल पर विवाद
राम रहीम को परोल दिए जाने पर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि हर बार चुनावों से पहले राम रहीम को परोल पर रिहा कर दिया जाता है, जिससे भाजपा को राजनीतिक फायदा मिलता है। विपक्ष ने इसे भाजपा और राम रहीम के बीच साजिश करार दिया है और आरोप लगाया है कि यह सब चुनावी राजनीति के तहत किया जा रहा है।
निष्कर्ष
Sonam Wangchuk की हिरासत और गुरमीत राम रहीम की परोल दोनों घटनाओं ने एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा खड़ा कर दिया है। एक ओर जहां Sonam Wangchuk लद्दाख के लोगों के लिए लोकतांत्रिक अधिकारों की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर एक दोषी व्यक्ति को परोल मिलना कई सवाल खड़े करता है। यह घटनाएं न सिर्फ सरकार की नीतियों पर सवाल उठाती हैं, बल्कि लोकतंत्र के मौलिक सिद्धांतों पर भी।