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Anirudh Agarwal biography in Hindi
आज हम अपने दर्शक मित्रों को बताने जा रहे हैं भारतीय सिनेमा जगत के हॉरर फिल्मों के सुपरस्टार कहे जाने वाले लोकप्रिय अभिनेता अनिरुद्ध अग्रवाल जी के बारे में जिन्होंने अभिनय क्षेत्र में अपनी एक नई पहचान बनाई। जिनको देख कांप जाती थी लोगों की रूह, ज्यादतर फिल्मे एवं टीवी धारावाहिको में डरावने भूत और खौफ़नाक दरिंदे की ही भूमिका निभाई है। भारतीय सिनेमा जगत में हॉरर फिल्मो में एक डरावने चेहरे के तौर पर शानदार अभिनय करके लोगों का मनोरंजन करने के लिए अनिरुद्ध अग्रवाल जी को हमेशा याद किया जाएगा।
अनिरुद्ध अग्रवाल जी भारतीय सिनेमा के एक प्रसिद्ध अभिनेता हैं, जो हमेशा अपने भयानक और डरावने किरदारों के लिए जाने जाते हैं। उनका जन्म 20 दिसंबर 1949 को देहरादून में हुआ था। अनिरुद्ध ने मुख्य रूप से 1980 और 1990 के दशक में कई हिंदी हॉरर और थ्रिलर फिल्मों में काम किया है।
रामसे ब्रदर्स की “पुराना मंदिर” (1984) मूवी में उन्होंने खौफनाक शैतान “सामरी” की भूमिका निभाई थी जिससे वह रातों-रात भारतीय दर्शकों के दिलों में एक अलग पहचान बनाने में कामयाब हुए, जिसमें एक अलग किरदार और शानदार अभिनय से वह हॉरर फिल्मों के सुपरस्टार बनकर उभरे थे। “बंध दरवाजा” (1990), और “सामरी” जैसी फिल्मों में खौफनाक शैतान के यादगार किरदार निभाए हैं। उनकी लंबी ऊंचाई-काठी और डरावनी सूरत के कारण वे ऐसे किरदारों के लिए बहुत उपयुक्त माने जाते थे।
इसके अलावा, उन्होंने “मिर्जा गालिब” (1988) और “अजूबा” (1991) जैसी फिल्मों में भी काम किया है। अनिरुद्ध अग्रवाल ने अपने अभिनय करियर में अपनी एक अलग पहचान बनाई है और उनके योगदान को हिंदी सिनेमा में हमेशा याद किया जाएगा।
बड़े पर्दे के साथ-साथ अनिरुद्ध अग्रवाल छोटे पर्दे पर भी छोटे पर्दे पर भी लोकप्रिय हुए थे जिसमे “तू तू मैं मैं” और “शक्तिमान” जैसी टीवी धारावाहिक भी शामिल है। अपने हर एक किरदार में अनिरुद्ध ने हमेशा बेहतरीन प्रदर्शन किया और दर्शकों के दिलों में अपनी एक जगह बनाई। फिल्मों में अनिरुद्ध का चेहरा इस तरह डरावना और भयानक बना दिया जाता था की कोई उनको एक बार देख ले तो उनकी याद की नींद हराम हो जाती थी। उनका चेहरा देखकर ऐसा लगता था कि सामने असल शैतान खड़ा है।
आगे जानिए कैसे अनिरुद्ध ने संघर्ष करके हिंदी सिनेमा में नाम कमाया..
अनिरुद्ध अग्रवाल का जन्म 20 दिसंबर 1949 को देहरादून में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा आसाराम वेद स्कूल से की,अनिरुद्ध आईआईटी रुड़की से सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री ली। बाद में वह एक कंपनी में इंजीनियर के तौर पर काम करने लगे।
अभिनेता जितेंद्र के प्रसंशको की भीड़ देख मन ही मन अभिनेता बनने का निश्चय किया
अभिनेता जितेंद्र देहरादून में अपने किसी फिल्म की शूटिंग के लिए आए थे, अनिरुद्ध शूटिंग देखने के लिए बहुत बेताब हुए थे जैसे ही वह जितेंद्र जी होटल में ठहरे थे वहां गए तो वहां अभिनेता जितेंद्र के प्रशंसकों की भीड़ देखकर आश्चर्यचकित हो गए और उन्होंने ठान ली की अभिनेता जितेंद्र की तरह मुझे भी लोग दूर-दूर से देखने आए ऐसा कुछ करेंगे और मन ही मन निश्चय कर लिया कि वह अभिनेता के तौर पर अपना करियर बनाएंगे।
मगर अनिरुद्ध के पिताजी उनको अभिनेता नहीं इंजीनियर बनना चाहते थे
अनिरुद्ध ने अभिनेता के तौर पर अपना करियर बनाने का फैसला किया, लेकिन वह भली-भांति जानते थे कि उनके किरदार उन्हें इंजीनियर के तौर पर देखना चाहते थे, इसलिए हीरो बनने का सपना मन ही मन में अपनी पढ़ाई जारी रखी। पढ़ाई के साथ-साथ अपने कॉलेज में होने वाले नाटक और संगीत का हिस्सा लेते थे और उसी से अपने अभिनय कला को और निखारते थे। और इसी दौरान उनके आईआईटी इंजीनियरिंग इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया गया। अपने नए कॉलेज में भी अनिरुद्ध के नाटकों में भाग लिया था।
कॉलेज में पहले साल तो आसानी से निकल गया लेकिन दूसरे साल में वे बेहद निराश हो गए और तय कर लिया कि वह पढ़ाई नहीं करेंगे और मुंबई में अपना ऐतिहासिक प्रदर्शन करेंगे। इसके बाद वह कॉलेज में छुट्टियाँ लेने के लिए मुंबई भाग गया। मगर उनके परिवार में यह खबर पहुंची कि उनका बेटा कॉलेज छोड़कर चला गया है, लेकिन कोई पता नहीं चला कि वह मुंबई चला गया है।
मुंबई आने के बाद अनिरुद्ध अपने एक जान पहचान वाले के घर चले गए और कुछ दिन बाद वह अपने भाई के दोस्त के घर चले गए। मगर वहां भी रहना उन्हें शर्मिंदगी लग रहा है क्योंकि ना तो वे कोई काम मिल रहे थे और ना ही फिल्मों में कोई चांस मिल रहा था। जिसके बाद वह अपने भाई के दोस्त के घर से भी चले गए और एक गेस्ट हाउस में रहने लगे ।।
जब मुंबई रहते रहते जेब खाली हो गई तो अनिरुद्ध ने कुछ दिन स्टेशन पर भी बिताए
जब उनके सारे पैसे खत्म हो गए तब उन्होंने अपने जीवन के कुछ दिन स्टेशन पर भी बिताए। वहीं कुछ दिनों बाद उनकी मुलाकात अपने कॉलेज के सीनियर दोस्त से हुई जब उन्होंने अपने दोस्त को अपनी पूरी कहानी सुनाई तो उसने अनिरुद्ध को वापस देहरादून जाने की सलाह दी, जिसके बाद वह वापस देहरादून आ गए। बाद में पिता ने दोबारा अनिरूद्ध को कॉलेज भेज दिया और अपनी पढ़ाई पूरी करने को कहा लेकिन इनका मन सिर्फ अभिनय में था। अपने पिता के कहने पर उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की।
अनिरूद्ध दोबारा मुंबई आए जहां उन्होंने शुरू में एक इंजीनियर के रूप में काम करना शुरू किया
अनिरुद्ध दोबारा मुंबई आ गए जहां उन्होंने शुरू में एक इंजीनियर के रूप में काम करना शुरू किया। मुंबई के बिल्डरों के साथ कंस्ट्रक्शन का काम करने लगे।
जब लोग उनकी सूरत देखकर और उनसे डर कर भागते थे
मुंबई आने के बाद वह कई दिनों से एक बात नोटिस कर रहे थे और उन्हें लग रहा था कि लोग उनके डरकर भागते हैं कोई उनके पास नहीं रहता है और ना ही कोई अपनी बात करता है, सब उन्हें देखकर ऐसे भागते हैं जैसे उनका कोई भूत हो देख लिया। फिर एक बार सुबह उन्होंने जब चूहों को देखा तो उन्हें पता चला कि उनके शरीर के अंग आप तुरंत डॉक्टर को दिखाने के लिए अस्पताल गए और अस्पताल में उनसे एक आदमी की मुलाकात हुई।
उस आदमी को पता था कि उसकी फिल्म “रामसे ब्रदर्स” उसकी फिल्म “पुराना टेम्पल” में है, जो खतरनाक दरिंदे का किरदार निभा सके और अनिरुद्ध की हॉरर शक्ल को देखकर उस आदमी का मन ही मन हो रहा था उस शैतान के किरदार के लिए ये व्यक्ति उपयुक्त साबित होगा। ये बातें उस शख्स ने अनिरुद्ध से पूछी कि तुम फिल्मों में क्या काम करना चाहते हो तो अनिरुद्ध ने तुरंत हां कह दी। उस आदमी ने कहा कि तुम तुरंत “रामसे ब्रदर्स” के ऑफिस जाओ और बात करो।
अगले दिन अनिरुद्ध “रामसे ब्रदर्स” के पास गए और जैसे ही अनिरुद्ध वहां पहुंचे, उनकी मुलाकात रामसे ब्रदर्स से हुई तब अनिरुद्ध को देखने वाले रामसे ब्रदर्स बेहद खुश हो गए क्योंकि उन्हें अपनी फिल्म “पुराना मंदिर” में एक ऐसा ही चेहरा मिलना था। जब अनिरुद्ध वहां पहुंचे तब इस फिल्म की शूटिंग लगभग पूरी हो चुकी थी सिर्फ शैतान वाला सीन ही बाकी था और अनिरुद्ध के आने के बाद या कमी भी पूरी हो गई। अनिरुद्ध की पहली फिल्म “पुराना मंदिर” के साथ बॉलीवुड में एक बेहद औपचारिक एंट्री रही, 1984 की यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही, साथ ही सभी दर्शकों ने इस फिल्म में भी अनिरुद्ध के काम को बेहद पसंद किया। अपनी इस फिल्म से अनिरुद्ध सिनेमा पर छा गए। इस फिल्म के बाद अनिरुद्ध को कई निर्माताओं ने अपनी फिल्मों में काम करने का ऑफर दिया।
ज्यादातर अपनी सभी फिल्मों में अनिरुद्ध ने शैतान और भूत कहानी वाले किरदार निभाए। इसी साल वह फिल्म “आवाज” में भी नजर आईं। बहुत कम लोग जानते हैं कि उनकी फिल्म “पुराना मंदिर” के बारे में भी सबसे पहले 1982 में “तेरी मांग सितारों से भर दूं” नाम की एक फिल्म में काम किया था, लेकिन इस फिल्म में उन्हें कोई खास पहचान नहीं मिली इसलिए उनकी पहली सफल फिल्म पुराना मंदिर” ही साबित हुई है। फिल्म पुराना मंदिर की सफलता के बाद उन्होंने फिर सन 1985 में रामसे ब्रदर्स की फिल्म “सामरी 3डी” में काम किया और इस फिल्म में उन्होंने एक शैतान की भूमिका निभाई जिसमें वह “सामरी” के किरदार में नजर आए।
मिथुन चक्रवर्ती, अमिताभ बच्चन, रफीक मोहित, अनिल कपूर और आमिर खान जैसे दिग्गज अभिनेताओं के साथ काम करने का मौका मिला
सन 1986 में उन्होंने “अविनाश” नाम की एक फिल्म में काम किया, जिसका निर्देशन मैथ्यू ने किया था। इस फिल्म में अनिरुद्ध को अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती, परवीन बाबी और पूनम ढिल्लो के साथ काम करने का मौका मिला। इस फिल्म के पहले भी अनिरुद्ध की मुलाकात मिथुन मित्र से हुई थी। पहले से ही दोनों एक दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त थे । जब अनिरुद्ध संघर्ष कर रहे थे तब पुणे में वैज्ञानिकों के साक्षात्कार के दौरान अनिरुद्ध और मिथुन की मुलाकात हुई थी, जहां मिथुन ने अनुरुद्ध का साक्षात्कार लिया और इस बीच दोनों की दोस्ती हो गई। मिथुन के साथ अनिरुद्ध की यह फिल्म “अविनाश” बॉक्स ऑफिस पर बेहद सफल रही।
इसके बाद 1988 में सलमान नाम की एक फिल्म में काम किया। सन 1989 में “जादूगर” फिल्म में प्रकाश मेहरा की एक फिल्म का नाम दिया गया था। उन्होंने बॉलीवुड के दिग्गज कलाकार अनिल कपूर, जैकी डमडी, अमरीश पुरी, अनुपम खेर, परेश रावल और सुप्रसिद्ध अभिनेत्री राधाकृष्ण दीक्षित के साथ काम किया। इसके बाद 90 के दशक में तुम मेरे हो, बंदा डोर, आज का अर्जुन, त्रिमूर्ति, बैंडिट क्वीन और दुल्हन बनी डायन जैसी फिल्मों में नजर आईं और अपने शानदार अभिनय के बेहतरीन प्रदर्शन से बेहद लोकप्रिय हुईं और दर्शकों के बीच अपनी एक अच्छी जगह बनाईं। इसके बाद सन 2000 के दशक में उन्होंने मेला, मर मिटेंगे, तलाश, बॉम्बे टू गो, मल्लिका और सेव :इनसाइड घोस्ट जैसी फिल्मों में काम किया।
हॉलीवुड फिल्मों में भी अपनी अभिनय कला का प्रदर्शन करते हुए नजर आए
हॉलीवुड फिल्मों में भी अपनी अभिनय कला का प्रदर्शन करते हुए नजर आए जिनमें सन 1994 की “ध जंगल बुक” और सन 1998 की “सच अ लॉन्ग जर्नी” जैसी फिल्में शामिल रही। इसके अलावा उन्होंने कई टेलीविजन शो जैसे की जी हॉरर शो, मानो या ना मानो, शक्तिमान, तू तू मैं मैं और हद कर दी जैसे शो शामिल है।
ऐसा क्या हुआ जब अनिरुद्ध अग्रवाल ने बॉलीवुड को कह दिया अलविदा
फिल्म मेला के बाद अनिरुद्ध जब एक ही किरदार निभा कर उनका मन भर गया तब उन्होंने अपनी job वापस ज्वाइन कर ली। साथ ही जब उन्हें फिल्मों के ऑफर आए तब उन्होंने उसके लिए भी कभी मना नहीं किया और वह फिल्मों में भी काम करते रहे लेकिन उनका फिल्मों से मन भर चुका था क्योंकि उन्हें एक ही तरह के किरदार मिल रहे थे। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि हिंदी सिनेमा में इस तरह के किरदार मिलेंगे। फिल्म में काम करके बिल्कुल वह खुश नहीं थे इसलिए उन्होंने फिल्मों में काम करना बंद कर दिया।
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अनिरुद्ध अग्रवाल का पारिवारिक जीवन
उनके पारिवारिक जीवन के बारे में उनके माता-पिता के बारे में कोई ठोस जानकारी तो सामने नहीं आई है लेकिन कहा जाता है कि उनके पिता आलू और राजमा के कारोबार में थे। अनिरुद्ध के अलावा उनके पांच भाई बहन थे और उनके बड़े भाई का नाम चंदनलाल अग्रवाल था। जब अनिरुद्ध मुंबई में नौकरी करने लगे तब उनके माता-पिता ने उन्हें शादी के लिए मजबूर किया और उन्होंने अपने माता-पिता की पसंद की एक लड़की से शादी की जिसका चेहरा भी उन्होंने नहीं देखा। उनकी शादी में एक लड़की नियोनी से हुई थी।उनके दो बच्चे हैं, उनके बेटे का नाम असीम अग्रवाल है और बेटी का नाम कपिला अग्रवाल है।
असीम अग्रवाल सन 2006 में फिल्म “फाइट क्लब” से हिंदी सिनेमा में अपने करियर की शुरुआत कर चुके हैं और उनकी बेटी कपिला ने भी सन 2005 में फिल्म “बंटी बबली” में काम किया था। इसके बाद अनिरुद्ध के दोनों बच्चे पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए और जहां सेटल हो गए। हाल ही में अनिरुद्ध मुंबई में अपनी पत्नी के साथ रहते हैं और एक रिसर्च सेंटर में काम करते हैं। उनकी फिल्मों में वापसी करने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि उनका कहना है कि वो शैतान के किरदार से हटकर भी कुछ कर सकते थे, लेकिन हिंदी सिनेमा में उनका कोई मतलब नहीं था।
जिसके बाद उनकी फिल्मों से ही मन हट गया। एक साक्षात्कार में अनिरुद्ध ने बताया कि उनकी फिल्म देखने की कोई इच्छा नहीं थी। उन्हें फिल्मों में कुछ अलग करना था, कुछ मेहनत करनी थी, जिस पर उन्हें आप पर गर्व था, लेकिन ऐसा नहीं मिला, इस वजह से उन्होंने फिल्मों में काम करना छोड़ दिया। इसके अलावा अपने बच्चों की अच्छी परवरिश करना चाहते थे और अपना पूरा ध्यान अपने बच्चों पर देना चाहते थे,यह भी एक कारण था कि वे फिल्मों में काम करना कम कर दिया।
अनिरुद्ध को फिल्मों में अपना काम भले ही पसंद ना आया हो लेकिन हम दर्शकों को उनका काम बेहद पसंद आया है। साथ ही उन्होंने अपने अभिनय से हम सभी का बेहद मनोरंजन किया है। हिंदी सिनेमा में एक हॉरर अभिनेता के तौर पर अनिरुद्ध का नाम हमेशा सर्वप्रथम रहेगा। उन्होंने अपने अभिनय से सभी को डराया और दर्शकों का दिल जीता है, इसके लिए उनको हमेशा याद किया जाएगा।
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