Anura kumara dissanayake sri lanka 2024 :अनुरा कुमारा दिशानायके का राजनीतिक सफर: एक साधारण जीवन से श्रीलंका के राष्ट्रपति पद तक

Anura kumara dissanayake sri lanka: श्रीलंका के नए राष्ट्रपति की ऐतिहासिक जीत

श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमारा दिशानायके की जीत ने न केवल देश के राजनीतिक परिदृश्य में एक बड़ा बदलाव किया है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी नई चर्चाओं को जन्म दिया है। 56 वर्षीय दिशानायके अब श्रीलंका के नए राष्ट्रपति बन गए हैं।

उनके इस ऐतिहासिक विजय के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई दी और भारत-श्रीलंका संबंधों को और मजबूत करने की इच्छा जताई। आइए, जानते हैं कि अनुरा कुमारा दिशानायके कौन हैं, उनका राजनीतिक सफर और उनकी जीत के बाद भारत-श्रीलंका संबंधों पर क्या असर पड़ेगा।

अनुरा कुमारा दिशानायके का जीवन और राजनीतिक सफर

अनुरा कुमारा दिशानायके का जन्म श्रीलंका के थंबू थे कामा नामक स्थान पर हुआ था। उनका जीवन साधारण पृष्ठभूमि से शुरू हुआ। उनके पिता एक मजदूर थे और माता गृहिणी थीं। उन्होंने कठिन परिस्थितियों में अपना जीवन बिताया।

लेकिन अपने संघर्षों के बावजूद विश्वविद्यालय तक शिक्षा प्राप्त की। बचपन से ही दिशानायके का झुकाव सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों की ओर था, जिसके कारण वे स्कूल के दिनों में ही मार्क्सवादी जनता विमुक्ति पैरामुना पार्टी (जेवीपी) से जुड़ गए थे।

प्रारंभिक राजनीतिक सफर

दिशानायके का राजनीतिक करियर 2004 में उस समय आरंभ हुआ जब वह श्रीलंका की तत्कालीन राष्ट्रपति चंद्रिका कुमारतुंगा की सरकार में कैबिनेट मंत्री बने। हालांकि, एक साल बाद ही, उन्होंने सरकार और लिट्टे (LTTE) के बीच एक समझौते के विरोध में इस्तीफा दे दिया। उनके इस कदम ने उन्हें एक दृढ़ और स्पष्ट विचारधारा वाले नेता के रूप में पहचान दिलाई।

जेवीपी के नेता और राष्ट्रपति पद की ओर बढ़ते कदम

2014 में, अनुरा कुमारा दिशानायके जनता विमुक्ति पैरामुना पार्टी (जेवीपी) के नेता बने। इसके बाद, 2019 में उन्होंने पहली बार राष्ट्रपति चुनाव लड़ा, लेकिन उस समय उन्हें केवल 3% वोट मिले। हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी राजनीतिक सक्रियता को बनाए रखा।

2024 के चुनाव में, उन्होंने 53% से अधिक मत प्राप्त किए और श्रीलंका के राष्ट्रपति बने। उनकी इस जीत ने यह साबित कर दिया कि श्रीलंका की जनता ने उनकी नीतियों और वादों पर विश्वास जताया है, खासकर छात्रों और श्रमिक वर्गों ने उन्हें भारी समर्थन दिया।

मोदी की बधाई और भारत-श्रीलंका संबंध

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनुरा कुमारा दिशानायके को श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में जीत के लिए बधाई दी। उन्होंने एक्स (पहले ट्विटर) पर कहा, “भारत की पड़ोस प्रथम नीति और विजन सागर में श्रीलंका का विशेष स्थान है। मैं हमारे बहुआयामी सहयोग को और मजबूत करने के लिए आपके साथ मिलकर काम करने के लिए उत्सुक हूं।”

पीएम मोदी के इस बयान से साफ है कि भारत श्रीलंका के साथ अपने संबंधों को और गहरा करना चाहता है। दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध रहे हैं, और इस नई राजनीतिक स्थिति में, दोनों देशों के बीच व्यापार, रक्षा, और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

दिशानायके के सामने चुनौतियाँ

उनकी की जीत के साथ ही उनके सामने कई बड़ी चुनौतियाँ भी खड़ी हो गई हैं। सबसे प्रमुख चुनौती श्रीलंका की आर्थिक स्थिति को सुधारने की है। देश में आर्थिक अस्थिरता और महंगाई के चलते आम जनता, खासकर छात्र और श्रमिक वर्ग, उनसे बड़े बदलावों की उम्मीद कर रहे हैं। चुनाव प्रचार के दौरान दिशानायके ने इन वर्गों को बेहतर भविष्य का वादा किया था।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वे अपने इन वादों पर कैसे खरे उतरते हैं।इसके अलावा, उन्हें अपनी पार्टी और सरकार के बीच सामंजस्य बनाए रखना भी चुनौतीपूर्ण होगा। जेवीपी एक मार्क्सवादी विचारधारा वाली पार्टी है, जो समानता और सामाजिक न्याय की बात करती है। राष्ट्रपति के रूप में दिशानायके को इस विचारधारा को संतुलित करते हुए आर्थिक सुधारों और विकास को आगे बढ़ाना होगा।

भारत-श्रीलंका संबंधों पर संभावित प्रभाव

अनुरा कुमारा दिशानायके की जीत के बाद, भारत-श्रीलंका संबंधों में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद है। मोदी सरकार ने श्रीलंका को हमेशा से अपने पड़ोस प्रथम नीति के तहत प्राथमिकता दी है। इस नीति का उद्देश्य भारत के पड़ोसी देशों के साथ मजबूत और स्थिर संबंध बनाना है, जो क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं।

श्रीलंका भारत के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है, खासकर हिंद महासागर क्षेत्र में। दोनों देशों के बीच व्यापार, पर्यटन, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के क्षेत्र में मजबूत सहयोग है। श्रीलंका में स्थिरता और आर्थिक सुधारों के साथ, यह साझेदारी और भी मजबूत हो सकती है।

दिशानायके का चीन कनेक्शन

श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में अनुरा कुमारा दिशानायके की जीत से राजनीतिक समीकरण बदल रहे हैं। दिशा नायके, जो मार्क्सवादी विचारधारा से जुड़े हैं, उन्होंने नेशनल पीपल्स पावर के तहत सबसे ज्यादा वोट हासिल किए। हालांकि, उनके चीन के साथ बेहद करीबी संबंध है।

साल 1980 के दशक में भारत की पीसकीपिंग फोर्स का विरोध करने की वजह से उनकी छवि भारत विरोधी और चीन समर्थक की उभरी है जो भारत के लिए यह चुनाव परिणाम आश्चर्य जनक हो सकते हैं। दिशा नायके के राष्ट्रपति बनने के बाद श्रीलंका की नीतियों पर भारत की नजर रहेगी। श्रीलंका में इस चुनाव से नया राजनीतिक दौर शुरू हो रहा है।

दिशानायके के नेतृत्व में श्रीलंका का भविष्य

दिशानायके के नेतृत्व में श्रीलंका के सामने कई चुनौतियाँ हैं, लेकिन उनके पास अवसर भी हैं। उनके पास अपने देश के लिए एक नया रास्ता खोलने का मौका है, जहां सामाजिक न्याय, आर्थिक सुधार और समानता पर ध्यान दिया जाएगा। अगर वे अपने वादों को पूरा कर पाते हैं, तो न केवल श्रीलंका में उनका नेतृत्व मजबूत होगा, बल्कि दक्षिण एशिया के राजनीतिक परिदृश्य में भी उनका महत्वपूर्ण स्थान बनेगा।

निष्कर्ष

अनुरा कुमारा दिशानायके की जीत श्रीलंका के राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। उनकी इस ऐतिहासिक जीत ने यह साबित कर दिया है कि श्रीलंका की जनता बदलाव चाहती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दी गई बधाई और भारत-श्रीलंका संबंधों को मजबूत करने की इच्छा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए नए अवसर पैदा हो रहे हैं।

Anura kumara dissanayake sri lanka : आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि दिशानायके कैसे अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हैं और अपने देश के भविष्य को किस दिशा में ले जाते हैं।

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