PM Modi Jinping Bilateral Meeting : रूस में होंगी पीएम मोदी और शी जिनपिंग की ऐतिहासिक मुलाकात: वैश्विक कूटनीति की बड़ी पहल
रूस से बड़ी खबर सामने आ रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच आज महत्वपूर्ण मुलाकात होने जा रही है। यह मुलाकात रूस के कजन शहर में शाम 4:00 बजे से 5:00 बजे के बीच निर्धारित है।
इस बैठक का विशेष महत्व है क्योंकि दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता में कई अहम मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है। यह मुलाकात BRICS Summit 2024 के मौके पर हो रही है, जहां अन्य विश्व नेता भी मौजूद हैं।
भारत-चीन संबंधों में तनाव का इतिहास
भारत और चीन के संबंध पिछले कुछ वर्षों में काफी तनावपूर्ण रहे हैं, विशेषकर 2020 में जब चीन ने भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की थी। इस घटना के बाद से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और सैन्य तनाव बढ़ा और दोनों पक्षों की सेनाएं सीमा पर तैनात रहीं। भारत ने तब से स्पष्ट कर दिया था कि जब तक 2020 से पहले की स्थिति बहाल नहीं होती, तब तक चीन के साथ किसी प्रकार की बातचीत नहीं की जाएगी।
हालांकि, हाल ही में दोनों देशों के बीच सीमा पर डिसएंगेजमेंट को लेकर सहमति बनने की खबरें आई थीं, जिससे यह संकेत मिलता है कि संबंधों में कुछ सुधार हो सकता है। फिर भी भारत चीन पर पूरी तरह भरोसा करने से बच रहा है और अपनी कूटनीति में सतर्कता बनाए हुए है।
BRICS Summit 2024 और द्विपक्षीय बैठकें
इस बार की मोदी-शी जिनपिंग मुलाकात का खास महत्व इसलिए भी है क्योंकि BRICS Summit 2024 के दौरान यह हो रही है। BRICS (ब्रिक्स) एक महत्वपूर्ण संगठन है, जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। 2019 में ब्राजील में हुए ब्रिक्स सम्मेलन में भी दोनों नेताओं की मुलाकात हुई थी, लेकिन 2020 के बाद से भारत-चीन संबंधों में आई खटास के कारण कोई द्विपक्षीय वार्ता नहीं हो सकी थी।
2022 में ब्रिक्स सम्मेलन वर्चुअल माध्यम से हुआ था और उस समय द्विपक्षीय बैठक नहीं हो पाई थी। 2023 में साउथ अफ्रीका में हुए ब्रिक्स सम्मेलन में भी द्विपक्षीय वार्ता का कोई अवसर नहीं मिला। हालांकि, BRICS Summit 2024 में दोनों देशों के बीच फिर से वार्ता शुरू हो रही है, जो वैश्विक कूटनीति के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
वैश्विक कूटनीति और मोदी-शी जिनपिंग वार्ता का महत्व
भारत और चीन विश्व की दो सबसे बड़ी ताकतें हैं, और इन दोनों देशों के बीच संबंध बहाल होने से न केवल एशिया में, बल्कि पूरी दुनिया में इसका प्रभाव पड़ सकता है। भारत-चीन संबंधों का तनाव वैश्विक व्यापार और राजनीतिक स्थिरता पर भी असर डालता है। इसलिए, इस बैठक से जो भी नतीजे निकलेंगे, उन पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं।
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय वार्ता में कई मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है। इसमें मुख्य रूप से सीमा विवाद, व्यापारिक संबंध, वैश्विक चुनौतियाँ और क्षेत्रीय स्थिरता जैसे विषय शामिल हो सकते हैं।
क्या हैं संभावित नतीजे?
चीन के साथ संबंधों में तनाव के बावजूद भारत ने कभी भी कूटनीति का दरवाजा पूरी तरह बंद नहीं किया है। हालांकि, चीन की नीतियों और गतिविधियों पर भारत का सतर्क दृष्टिकोण हमेशा से रहा है। इस बैठक से पहले यह कयास लगाए जा रहे हैं कि दोनों देशों के बीच किसी प्रकार की समझौता हो सकता है, जिससे 2020 से पहले की स्थिति बहाल हो सके।
अगर यह वार्ता सफल होती है, तो इससे सीमा विवाद के समाधान की दिशा में एक सकारात्मक संकेत मिल सकता है, जो न केवल भारत-चीन संबंधों को सुधारने में मदद करेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इसे एक सकारात्मक कदम माना जाएगा।
निष्कर्ष
रूस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात वैश्विक कूटनीति के दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है। यह मुलाकात न केवल भारत और चीन के संबंधों में एक नया मोड़ ला सकती है, बल्कि वैश्विक राजनीति और व्यापारिक संबंधों पर भी इसका असर पड़ सकता है।
BRICS Summit 2024 के इतर होने वाली इस बैठक से जो भी परिणाम निकलेंगे, उन पर पूरी दुनिया की नजरें होंगी। भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों का बहाल होना, वैश्विक स्थिरता के लिहाज से एक बड़ी खबर है।