champai soren jharkhand: 30 अगस्त को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने भाजपा की सदस्यता प्राप्त की। अगले ही दिन रात को उन्होंने झारखंड के कैबिनेट और झारखंड मुक्ति मोर्चा से इस्तीफा दिया और पत्रकार परिषद करके भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने का एलान किया और कहा कि उनका जो दायित्व मिलेगा उनको अच्छी तरह निभाएंगे। झारखंड की राजधानी रांची में जब चंपई सोरेन भाजपा में शामिल हुए तब इस कार्यक्रम में झारखंड प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी,केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराजसिंह चौहान और असम के मुख्यमंत्री हेमंता बिश्व शर्मा भी हाजिर थे।
जब ED ना झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को कथित भ्रष्टाचार के आप में उनको गिरफ्तार किया था। तब उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। तब उनकी जगह champai soren jharkhand को झारखंड का मुख्यमंत्री बनाया गया था। मगर सुप्रीम कोर्ट हेमंत सोरेन को अंतरिम जमानत दी और वह जेल से बाहर आए तब चंपल सोरेन को मुख्यमंत्री पद से हटाया गया और उनकी जगह फिर से हेमंत सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री बने।
champai soren jharkhand : वो झारखंड मुक्ति आंदलन के प्रमुख चेहरों में से एक है। उनको झारखंड के लोग “झारखंड टाइगर” भी कहते हैं। वह हेमंत सोरेन के पिता एवं झारखंड मुक्ति के नायक और झारखंड मुक्ति मोर्चा के स्थापक शिबू सोरेन के बेहद करीबी माने जाते हैं। उन्होने झारखंड आंदोलन से सक्रिय राजनीति में आए। चंपई सोरेन आदिवासी समुदाय से आते हैं। भाजपा ने चंपई सोरन को पार्टी में शामिल करके आदिवासी वोटबैंक पर सेंधमारी करने का प्रयास किया है। चंपई आदिवासी समुदाय के बहुत बड़े नेता है। चंपई को शिबू सोरेन और उनके परिवार के बेहद करीबी बताए जाते हैं। उनको गुरुजी यानी कि “शिबू सोरेन” का हनुमान भी कहा जाता है।
Champai soren jharkhand पांच बार लगातार विधायक चुने गए
चंपई सोरेन एक भारतीय राजनेता हैं , जिन्होंने ED द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद 02 फरवरी 2024 से 03 जुलाई 2024 तक झारखण्ड के 7वें मुख्यमंत्री के तौर में कार्य किया । जो अब भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं और विधायक के रूप में सरायकेला विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, जहां से लगातार पांच बार विधायक का चुनाव वह जीते हैं।
वह दूसरे हेमंत सोरेन मंत्रिमंडल में परिवहन, अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण के कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्यरत थे मगर भारतीय जनतापार्टी में शामिल होनेके एक दिन पहले ही झारखंड मुक्ति मोर्चा एवं झारखंड कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था।
झारखंड की राजनीति मे किंग मेकर है आदिवासी वोटबैंक
झारखंड आदिवासी बाहुल राज्य है, झारखंड की कुल जनसंख्या में 26.31% आदिवासी हैं, जिनको वहा के मूल निवासी कहा गया है। झारखंड की राजनीति में आदिवासी वोट बैंक को महत्वपूर्ण माना गया है। आदिवासी वोट बैंक जिस तरफ जाएगी वहीं पार्टी सत्ता के द्वार तक पहुंच पाएगी। आदिवासी वोट बैंक झारखंड की सत्ता की चाबी है।
पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने गैर आदिवासी नेता और झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवरदास के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था और बुरी तरह शिकस्त झेलनी पड़ी थी। खुद मुख्यमंत्री रघुवर दास अपनी सीट पर भी बुरी बड़े अंतर से तरह चुनाव हारे थे। तब भाजपा की वोट बैंक में बाबूलाल मरांडी ने सेंध लगाई थी। कई सारी सीटों के परिणाम को बाबूलाल मरांडी की पार्टी ने प्रभावित किया था। झारखंड की राजनीति में उनकी मजबूती और प्रभाव को देख भाजपा ने वापस बाबूलाल मरांडी को भाजपा में शामिल किया और उन्हें झारखंड भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। बीजेपी झारखंड में सत्ता वापसी के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
झारखंड मुक्ति मोर्चा की आदिवासी वोटबैंक में सेंध लगाने के लिए भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री Champai soren jharkhand को अपने पाले में लिया है। चंपई सोरेन झारखंड झारखंड की राजनीतिके प्रमुख चेहरे है और झारखंड की राजनीति को भलीभाती जानते है। झारखंड के विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे है। ऐसे में सवाल यहां उठता है कि क्या चंपई सोरेन झारखंड में भाजपा की नैया पर कर पाएंगे? क्या बीजेपी का मास्टर स्टॉक सही साबित होगा?
यह भी अवश्य पढ़े:
30 अगस्त को रांची में चंपई सोरेन का बीजेपी में प्रवेश: झारखंड की राजनीति में बड़ा उलटफेर