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happy krishna janmashtami: हमारे सभी दर्शक मित्रों को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं। भगवान श्री कृष्ण के आशीर्वाद सदैव आप और आपके परिवार पर बने रहे इसी भगवान श्री कृष्ण से हम प्रार्थना करते हैं।
जन्माष्टमी हिंदू धर्म का एक पवित्र त्योहार है, जिसे भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह त्योहार श्रावण महिने की अष्टमी तिथि के दिन मनाया जाता है। यह त्यौहार दुनिया भर के लाखों भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
Happy krishna janmashtami:जन्माष्टमी का इतिहास और महत्व
जन्माष्टमी का त्यौहार उस दिन की याद में मनाया जाता है जब भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा की जेल में हुआ था। श्री कृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है, जिन्होंने पृथ्वी पर बुराई को नष्ट करने के लिए अवतार लिया था। उनका जन्म वासुदेव और देवकी के घर हुआ था। इससे पहले मथुरा के राजा कंस ने अपनी बहन देवकी के बच्चों को मार डाला था, क्योंकि एक भविष्यवाणी के अनुसार देवकी का आठवां पुत्र कंस का विनाश करेगा। श्रीकृष्ण का जन्म अधर्म, अयश और बुरी शक्तियों का नाश करने के लिए हुआ था। उनका जीवन ईश्वर और मनुष्य के बीच प्रेम और अधर्म के विरुद्ध लड़ाई का एक महान उदाहरण है।
श्री कृष्ण क्षण-क्षण में दिव्यता प्रकट करने वाले सर्वकालिक बहुआयामी व्यक्तित्व हैं। कृष्ण वह विशाल छवि हैं जिसने पांच हजार से अधिक वर्षों से लगातार हिंदू संस्कृति और भारतीय उपमहाद्वीप पर एक शानदार आभा बिखेरी है। अरे! भगवान श्री कृष्ण “भगवद गीता” के उद्घोषक हैं जिसने न केवल भारतीय संस्कृति बल्कि पूरे विश्व को आश्चर्यचकित कर दिया है।
समय के साथ दुनिया के कई विद्वानों ने भगवान श्री कृष्ण को अपने-अपने तरीके से भुनाने और आनंद लेने की कोशिश की है। जब-जब विश्व के विद्वानों ने कृष्ण के चरित्र को समझने का प्रयास किया है, तब-तब कृष्ण एक नये रूप में हमारे सामने आये हैं। इसलिए कहा जा सकता है कि कृष्ण संपूर्ण मानव जगत के नायक थे, हैं और रहेंगे।
श्री कृष्ण का अर्थ है सर्वोच्चता। कृष्ण का मतलब एक महाद्वीप नहीं, बल्कि संपूर्ण है। कृष्ण का अर्थ है पूर्णयोगी – महायोगी। कृष्ण पृथ्वीलोक के जीवन की पूर्ण स्वीकृति के प्रतीक हैं। कृष्ण अंतर्निहित शून्यता और आत्म-धार्मिकता के अंतिम प्रतीक हैं। कृष्ण का अर्थ है गुरु, मित्र। कृष्ण का अर्थ है “यदा यदा हि धर्मस्य…” कृष्ण की एकता अनेक गुना है। श्री कृष्ण को हम विश्व का महानतम संगीतज्ञ कह सकते हैं। श्री कृष्ण बांसुरी की ध्वनि के माध्यम से स्वयं को प्राप्त करने का एक अनूठा तरीका हैं।
कृष्ण से हम सीखते हैं कि सुर और लय जीवन का प्रमुख गुण होना चाहिए। हम आधी रात को जन्माष्टमी का शुभ दिन मनाकर ‘कृष्णजन्मोत्सव’ की अवधारणा को सीमित नहीं कर सकते। सच्चा कृष्ण जन्मोत्सव तभी मनाया जा सकता है जब हम कृष्ण की विभिन्न हरियाली के माध्यम से जीवन को देख सकें जो चंद्रमा की इच्छा को पूरा करने के लिए आधी रात को चमकना चुनते हैं।
श्री कृष्ण बहुत अच्छे मित्र थे। भगवान कृष्ण ने अर्जुन की मित्रता, मार्गदर्शन और मैत्री को जीवन भर निभाया। एक समय कृष्ण अर्जुन के सारथी बने, एक समय उन्होंने युद्ध के मैदान में 45 मिनट में सात सौ श्लोकों के माध्यम से अर्जुन को ज्ञान दिया।
कृष्णा ने हर बार वही रोल निभाया है जो उन्हें मिला है।दयालुता के कारण उन्होंने भरी सभा में द्रौपदी की रक्षा की। वह मित्रता के कारण उनके सारथी बन गए है। कृष्ण और सुदामा की दोस्ती की मिसाल आज भी लोग भली भाती जानते हैं। कृष्ण और सुदामा की दोस्ती हमें सिखाती है कि सच्ची मित्रता और प्रेम भौतिक संपत्ति या स्थिति पर निर्भर नहीं करते। यह दोस्ती हमें निस्वार्थ प्रेम, समर्पण और एक-दूसरे के प्रति सच्ची भावनाओं का सम्मान करना सिखाती है। यह इस बात का प्रमाण है कि सच्चे मित्र हमेशा एक-दूसरे के सुख-दुख में साथ रहते हैं, चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों। कृष्ण और सुदामा की मित्रता, भक्ति और प्रेम का एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करती है, जो सदियों से सभी को प्रेरित करती आ रही है।
जन्माष्टमी के इस पावन अवसर पर हमारा दर्शन सूक्ष्म होना चाहिए, स्थूल नहीं। विश्व के अब तक के इतिहास में कृष्ण ही एकमात्र ऐसे व्यक्तित्व हैं जिन्होंने बिना साधना के सिद्धि का दर्शन दिया।
happy krishna janmashtami: इस जन्माष्टमी पर हमें कृष्णायन क्यों करना चाहिए? कृष्णायन कृष्ण की दुनिया में रम्मना बन गई लीलाओं की सर्वोच्च चेतना को प्राप्त करने का प्रयास करने वाला कृष्णायन है। कृष्णायन ‘श्रीमद् भगवत गीता’ के संपूर्ण सांसारिक अध्यायों को जीवन के अध्यायों में परिवर्तित करने का कौशल या महारत हासिल करने का प्रयास है। स्वयं की खोज में निकलना ही कृष्णायन है। आइए, हम सब आत्म-ज्ञान के प्रकाश में कृष्णायनम करके जीवन-दर्शन प्राप्त करने का प्रयास करें। आइये, सच्चा ‘कृष्ण जन्मोत्सव’ मनायें।