Jharkhand Election Result 2024: हेमंत सोरेन की ऐतिहासिक जीत और बीजेपी की हार के कारण

Jharkhand Election Result: हेमंत सोरेन की ऐतिहासिक जीत और बीजेपी की हार के प्रमुख कारण

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में Jharkhand Election Result ने सभी को चौंका दिया। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेता हेमंत सोरेन ने बड़ी जीत दर्ज की और 24 साल का रिकॉर्ड तोड़ते हुए सत्ता में वापसी की। दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी (BJP) को करारी हार का सामना करना पड़ा। आइए समझते हैं कि इस चुनाव परिणाम के पीछे के प्रमुख कारण क्या हैं।

आदिवासी अस्मिता का मुद्दा

हेमंत सोरेन ने इस चुनाव में आदिवासी अस्मिता को सबसे बड़े मुद्दे के रूप में जनता के सामने रखा। जमीन अधिग्रहण मामले में जेल जाने के बाद उन्होंने इसे आदिवासियों और गरीबों के अधिकारों से जोड़कर पेश किया।

उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाया कि यह सब राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा था। उन्होंने जनता को विश्वास दिलाया कि उन्होंने कोई घोटाला नहीं किया है। इस तरह, सोरेन आदिवासी समुदाय का समर्थन हासिल करने में सफल रहे, जबकि बीजेपी इस मुद्दे पर कमजोर नजर आई।

महिला वोट बैंक पर फोकस

हेमंत सोरेन ने महिला वोटरों पर विशेष ध्यान दिया। उनकी “माया सम्मान योजना” के तहत महिलाओं के बैंक खातों में सीधा धन हस्तांतरण किया गया। यह योजना महिलाओं के बीच काफी लोकप्रिय साबित हुई।

इसके अलावा, हेमंत की पत्नी कल्पना सोरेन ने भी चुनाव प्रचार में बड़ी भूमिका निभाई। उन्होंने 100 से अधिक रैलियां कीं, जिनमें भारी संख्या में महिलाएं शामिल हुईं। बीजेपी महिला वोटरों को अपने पक्ष में करने में असफल रही।

खतियान और आरक्षण जैसे मुद्दे

हेमंत सोरेन ने खतियान और आरक्षण के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया। इन मुद्दों पर विधानसभा से प्रस्ताव पास हो चुका था, लेकिन राज्यपाल की मंजूरी न मिलने के कारण इन्हें लागू नहीं किया जा सका।

इसका फायदा उठाकर हेमंत ने इसे आदिवासी अस्मिता और अधिकारों के साथ जोड़ दिया। उन्होंने बीजेपी को इन मुद्दों पर घेरते हुए जनता को अपने पक्ष में कर लिया।

बीजेपी की रणनीतिक कमियां

Jharkhand Election Result में बीजेपी की हार का बड़ा कारण उसकी कमजोर रणनीति रही। पार्टी के बड़े नेता बोकारो, देवघर, गोड्डा, और जगन्नाथपुर जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रभावशाली प्रदर्शन नहीं कर पाए।

बीजेपी के पास मुख्यमंत्री पद के लिए कोई स्पष्ट चेहरा नहीं था। बाबूलाल मरांडी और चंपई सोरेन जैसे दलबदलू नेताओं पर भरोसा करना पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हुआ।

कोल्हान और कोयलांचल में वोट बैंक का खिसकना

कोल्हान और कोयलांचल क्षेत्र में कुर्मी समुदाय, जो झारखंड चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, बीजेपी से दूरी बना चुका था। इसके अलावा, मुस्लिम और यादव बहुल इलाकों में भी बीजेपी को अपेक्षित समर्थन नहीं मिला।

हेमंत सोरेन का जनसंपर्क अभियान

हेमंत सोरेन ने अपने जनसंपर्क अभियान को बेहद प्रभावशाली बनाया। उन्होंने गरीब, आदिवासी, महिलाओं और युवाओं के लिए सीधी नीतियां बनाई और जमीनी स्तर पर संवाद कायम किया।

उनका यह अभियान बीजेपी की तुलना में ज्यादा प्रभावी रहा, जिससे वे जनता का भरोसा जीतने में सफल रहे।

बीजेपी का ओवरकॉन्फिडेंस

बीजेपी ने यह मान लिया था कि केंद्र सरकार की नीतियों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के दम पर झारखंड में भी जीत दर्ज की जा सकती है। हालांकि, राज्य की भौगोलिक और सामाजिक संरचना को ध्यान में न रखते हुए बनाई गई रणनीति बीजेपी के लिए नुकसानदेह साबित हुई।

निष्कर्ष : Jharkhand Election Result in Hindi

Jharkhand Election Result ने यह साबित कर दिया कि स्थानीय मुद्दे, नेतृत्व, और जनता के साथ सीधा संवाद किसी भी चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। हेमंत सोरेन ने आदिवासी अस्मिता और महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर जनता का भरोसा जीता।

दूसरी ओर, बीजेपी अपनी कमजोर रणनीति, स्थानीय नेतृत्व की कमी और ओवरकॉन्फिडेंस के कारण हार गई।

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