Manipur News : मणिपुर में राजनीतिक संकट : एनपीपी ने छोड़ा बीजेपी का साथ
मणिपुर में हाल के दिनों में बिगड़ते हालात ने न केवल राज्य की जनता बल्कि पूरे देश का ध्यान खींचा है। जातीय हिंसा, राजनीतिक तनाव, और सरकार की नीतियों को लेकर मणिपुर में संकट गहराता जा रहा है। एनपीपी (नेशनल पीपल्स पार्टी) द्वारा बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लेने के फैसले ने राज्य में राजनीतिक माहौल को और गरमा दिया है। Manipur news इन दिनों हर तरफ चर्चा का विषय बनी हुई है।
मणिपुर में बिगड़े हालात और एनपीपी का समर्थन वापसी
मणिपुर में जारी हिंसा के चलते केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को अपनी व्यस्त चुनावी रैलियां रद्द कर राज्य की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना पड़ा। राज्य में जातीय हिंसा की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इस बीच, मणिपुर सरकार की सहयोगी पार्टी एनपीपी ने मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की सरकार पर हालात को नियंत्रण में रखने में असफल होने का आरोप लगाते हुए समर्थन वापस ले लिया।
एनपीपी का कहना है कि राज्य में शांति व्यवस्था बनाए रखने में सरकार पूरी तरह नाकाम रही है। पार्टी ने बीजेपी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा को लिखे पत्र में स्पष्ट किया कि मणिपुर की जनता को न्याय और शांति दिलाने में वर्तमान सरकार विफल रही है। हालांकि, एनपीपी के इस कदम से बीजेपी सरकार पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 60 में से 32 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल किया था।
Manipur news में एनपीपी का यह कदम राजनीतिक बहस का मुख्य विषय बन गया है।
Manipur news : विरोध प्रदर्शन और कर्फ्यू की स्थिति
मणिपुर में स्थिति तब और बिगड़ गई, जब जीरी नदी में एक महिला और दो बच्चों के शव मिले। इस घटना के बाद राज्य के कई जिलों में हिंसक प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों ने सरकारी अधिकारियों के घरों में तोड़फोड़ की और कई जगह आगजनी की।
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने पांच घाटी जिलों में कर्फ्यू लागू किया और सात जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दीं। इन जिलों में इंफाल ईस्ट, इंफाल वेस्ट, विष्णुपुर, थोबल, काकचिंग, कांगपोकपी, और चूराचांदपुर शामिल हैं। इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध से जनता को और परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
हिंसा और कर्फ्यू की खबरें लगातार Manipur news का हिस्सा बनी हुई हैं।
विपक्ष का हमला और सरकार की जिम्मेदारी
मणिपुर की बिगड़ती स्थिति पर केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्ष के निशाने पर हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोशल मीडिया पर सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री विदेश यात्राओं में व्यस्त हैं, जबकि मणिपुर की जनता हिंसा और दर्द झेल रही है।
वहीं, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी मोदी सरकार पर मणिपुर की समस्या को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री दिल्ली से मणिपुर केवल एक घंटे की दूरी पर हैं, लेकिन राज्य की जनता से मिलने का समय नहीं निकाल पा रहे हैं। ओवैसी ने यह भी आरोप लगाया कि मणिपुर में आदिवासियों पर हो रहे अत्याचारों के लिए केंद्र सरकार पूरी तरह जिम्मेदार है।
मणिपुर में जातीय हिंसा: एक पुराना मुद्दा : Manipur news in Hindi
मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच लंबे समय से विवाद चला आ रहा है। मई 2023 से शुरू हुई हिंसा में अब तक 200 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। यह जातीय तनाव समय-समय पर उभरता है, लेकिन हालिया घटनाओं ने इसे और भयावह बना दिया है।
11 नवंबर को, वर्दीधारी हथियारबंद उग्रवादियों ने सीआरपीएफ कैंप पर हमला किया, जिसमें 10 उग्रवादी मारे गए। इसके बाद राहत शिविर से छह लोगों को अगवा कर लिया गया, जिनमें से तीन के शव मिलने से तनाव और बढ़ गया।
मणिपुर में जातीय संघर्ष की घटनाएं अक्सर Manipur news की सुर्खियां बनती हैं।
सरकार का रवैया और आगे का रास्ता
मणिपुर के मौजूदा हालात सरकार की नीतियों और प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं। हालांकि, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हालात को सुधारने के लिए कई इमरजेंसी बैठकें की हैं और अधिकारियों को शांति बहाल करने के निर्देश दिए हैं। लेकिन राज्य में हिंसा और विरोध प्रदर्शन की स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है।
यह जरूरी है कि सरकार जल्द से जल्द ठोस कदम उठाए। मणिपुर की समस्या का समाधान केवल कानून-व्यवस्था सुधारने से नहीं हो सकता, बल्कि इसके लिए संवाद और समुदायों के बीच भरोसा बहाल करना भी आवश्यक है।
निष्कर्ष
मणिपुर में बिगड़ते हालात एक गंभीर राष्ट्रीय समस्या बन गए हैं। जातीय हिंसा, राजनीतिक अस्थिरता, और प्रशासनिक विफलताओं ने राज्य को अराजकता की स्थिति में ला दिया है। ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त जिम्मेदारी बनती है कि वे जनता को सुरक्षा और शांति का भरोसा दिलाएं। Manipur news के माध्यम से हमें राज्य की समस्याओं को समझने और उनका समाधान खोजने की दिशा में प्रयासरत रहना चाहिए।
Manipur news से जुड़े घटनाक्रम यह दिखाते हैं कि देश के हर कोने की समस्याएं केवल स्थानीय नहीं होतीं, बल्कि उनका असर राष्ट्रीय स्तर पर महसूस किया जाता है।
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