रूस में पीएम मोदी और शी जिनपिंग की ऐतिहासिक मुलाकात: भारत-चीन संबंधों में नए अध्याय की शुरुआत
आज रूस के कजन शहर में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है। यह PM Modi-Xi Jinping Meeting वैश्विक कूटनीति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। 5 साल बाद हो रही इस वन-टू-वन मीटिंग पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं।
मोदी की कूटनीति और चीन पर दबाव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीति ने बिना युद्ध का सहारा लिए चीन को LAC से सेना पीछे हटाने के लिए मजबूर किया है। 2020 की गलवान घाटी घटना के बाद से भारत-चीन संबंधों में जो तनाव था, उसे इस PM Modi-Xi Jinping Meeting में सुलझाने की उम्मीद की जा रही है।
यह सम्मेलन वैश्विक मंच पर भारत-रूस की गहरी दोस्ती को दर्शाता है, जिसने अमेरिका को असहज कर दिया है। अमेरिका और पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद, रूस ने इस ब्रिक्स सम्मेलन का आयोजन करके अपनी ताकत का प्रदर्शन किया है। इस समिट में 12 से ज्यादा देशों के नेता शामिल हो रहे हैं, जिसमें ईरान और चीन भी प्रमुख भागीदार हैं।
भारत-चीन संबंधों में नया मोड़
गलवान घटना के बाद से भारत और चीन के संबंध ठंडे थे। हालांकि, हाल की कूटनीतिक वार्ताओं ने तनाव को कम करने में मदद की है। अब PM Modi-Xi Jinping Meeting से दोनों देशों के बीच डिसएंगेजमेंट पर सहमति बन गई है, और सेनाएं अप्रैल 2020 की स्थिति पर लौटने को तैयार हैं।
BRICS Summit 2024 का महत्व
BRICS Summit 2024 के दौरान हो रही इस PM Modi-Xi Jinping Meeting का वैश्विक महत्व है। यह बैठक वैश्विक व्यापार और राजनीतिक स्थिरता के साथ-साथ भारत और चीन के बीच सीमा विवाद पर संभावित समाधान की उम्मीद बढ़ा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मुलाकात एशिया और वैश्विक स्थिरता पर भी प्रभाव डाल सकती है।
भारत की कूटनीति और चीन की रणनीतिक हार
PM Modi-Xi Jinping Meeting भारत की कूटनीति और चीन की रणनीतिक पराजय का प्रतीक है। गलवान घाटी से लेकर डोकलाम तक, भारत की सशक्त प्रतिक्रिया ने चीन को अपनी स्थिति बदलने के लिए मजबूर किया है।
सीमा विवाद और भविष्य की दिशा
भारत और चीन के बीच कई वर्षों से सीमा विवाद चला आ रहा है। हालांकि, PM Modi-Xi Jinping Meeting से यह उम्मीद जगी है कि गलवान, डेपसांग और डेमचोक जैसे क्षेत्रों में तनाव कम होगा, और दोनों देशों की सेनाएं अप्रैल 2020 की स्थिति पर लौटने के लिए तैयार हो जाएंगी।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारत-चीन संबंध
भारत और चीन के संबंध वैश्विक शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकते हैं। इस PM Modi-Xi Jinping Meeting के बाद यह देखना होगा कि इन दोनों देशों के बीच की वार्ता एशिया और वैश्विक स्थिरता को किस प्रकार प्रभावित करती है।
22 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस के कज़ान शहर में ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे। इस दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पीएम मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया। यह मुलाकात भारत और रूस के गहरे रिश्तों को प्रदर्शित करती है, जिसका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक प्रभाव पड़ा है।
PM मोदी और पुतिन के बीच इस बैठक ने अमेरिका सहित पश्चिमी देशों को एक स्पष्ट संदेश दिया है। खासकर, रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद यह सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय आयोजन है, जिसमें रूस ने दुनिया को दिखाया है कि वह पश्चिम से अलग-थलग नहीं है।
निष्कर्ष
रूस में होने वाली PM Modi-Xi Jinping Meeting से वैश्विक कूटनीति में एक नया मोड़ आने की संभावना है। यह बैठक न केवल भारत-चीन संबंधों को नए सिरे से शुरू करने का अवसर प्रदान करेगी, बल्कि वैश्विक राजनीति और व्यापारिक स्थिरता पर भी इसका व्यापक प्रभाव पड़ेगा।
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