राजनीति के जनक कौन थे?
राजनीति के जनक अरस्तु को माना जाता है। अरस्तु, जो एक प्राचीन यूनानी दार्शनिक थे, ने राजनीति विज्ञान को एक स्वतंत्र विषय के रूप में स्थापित किया। उन्हें “राजनीति के रचयिता” भी कहा जाता है। अरस्तु के गुरु प्लेटो और प्लेटो के गुरु सुकरात थे। यह तीनों दार्शनिक राजनीति और शासन के अध्ययन में अग्रणी रहे। अरस्तु का योगदान राज्य, सरकार और नगर-राज्य के अध्ययन को व्यवस्थित करने में अभूतपूर्व है।
राजनीति विज्ञान का अर्थ
राजनीति विज्ञान, जिसे अंग्रेजी में “Political Science” कहा जाता है, यूनानी भाषा के “पॉलिस” (Polis) शब्द से उत्पन्न हुआ है। “पॉलिस” का अर्थ है नगर-राज्य। प्राचीन यूनानी समाज में छोटे-छोटे नगर-राज्य थे, जिनकी गतिविधियों, संरचना और कार्यप्रणाली का अध्ययन राजनीति विज्ञान का मूल आधार है। “राजनीति के जनक कौन थे?” जैसे प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए इस विषय का अध्ययन अत्यंत आवश्यक है।
राजनीति विज्ञान की परंपरागत परिभाषाएँ
परंपरागत दृष्टिकोण में राजनीति विज्ञान को राज्य और सरकार के अध्ययन तक सीमित माना गया है। इसे तीन प्रमुख दृष्टिकोणों में विभाजित किया जा सकता है:
- राज्य का अध्ययन:
इस दृष्टिकोण के अनुसार राजनीति विज्ञान केवल राज्य का अध्ययन करता है। डॉक्टर गार्नर के अनुसार, राजनीति विज्ञान का प्रारंभ राज्य की स्थापना और कार्यप्रणाली से होता है। - सरकार का अध्ययन:
दूसरे दृष्टिकोण में राजनीति विज्ञान को सरकार के अध्ययन तक सीमित किया गया है। यह दृष्टिकोण सरकार की कार्यप्रणाली और प्रक्रियाओं का विश्लेषण करता है। - राज्य और सरकार दोनों का अध्ययन:
तीसरे दृष्टिकोण में राजनीति विज्ञान को राज्य और सरकार दोनों की सामान्य समस्याओं का अध्ययन माना गया है। यह दृष्टिकोण राजनीति विज्ञान के व्यापक दृष्टिकोण को प्रस्तुत करता है।
राजनीति विज्ञान की आधुनिक परिभाषाएँ
आधुनिक दृष्टिकोण राजनीति विज्ञान को शक्ति, शासन और अधिकार के अध्ययन के रूप में देखता है।
- हटन की परिभाषा:
“शक्ति, शासन और अधिकार का अध्ययन ही राजनीति विज्ञान है।” यह परिभाषा राजनीति विज्ञान के मूल तत्वों को सरलता से व्यक्त करती है। - लासवेल और कैपलन की परिभाषा:
“राजनीति विज्ञान शक्ति के निर्धारण और बंटवारे का अध्ययन है।” यह परिभाषा राजनीति विज्ञान के सामाजिक और प्रशासनिक पहलुओं पर बल देती है।
राजनीति के रचयिता कौन हैं?
राजनीति के रचयिता अरस्तु को माना जाता है। उन्होंने शासन और राज्य की कार्यप्रणाली को समझने और व्यवस्थित करने में अपनी अहम भूमिका निभाई। उनके योगदान को ध्यान में रखते हुए, उन्हें “राजनीति के जनक” भी कहा जाता है।
राजनीति विज्ञान का महत्व
राजनीति विज्ञान समाज, राज्य और सरकार को समझने में मदद करता है। इसके प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:
- समाज का संगठन:
यह समाज के संगठन, नियम और कानूनों को समझने में सहायता करता है। - लोकतंत्र को सशक्त बनाना:
यह नागरिकों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करता है। - समस्याओं का समाधान:
राजनीति विज्ञान सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समस्याओं का समाधान प्रदान करता है।
राजनीति विज्ञान का अध्ययन क्यों आवश्यक है?
राजनीति विज्ञान का अध्ययन न केवल छात्रों के लिए, बल्कि हर नागरिक के लिए आवश्यक है। यह हमें न केवल “राजनीति के जनक कौन थे?” जैसे ऐतिहासिक प्रश्नों का उत्तर देता है, बल्कि हमें बेहतर नागरिक बनने के लिए प्रेरित भी करता है।
निष्कर्ष
राजनीति विज्ञान मानव समाज का एक अनिवार्य अंग है। यह राज्य, सरकार, शक्ति और अधिकार के अध्ययन का एक विज्ञान है। अरस्तु, जिन्हें “राजनीति के रचयिता” और “राजनीति के जनक” कहा जाता है, जिन्होंने इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझने की नींव रखी। राजनीति विज्ञान का अध्ययन समाज को संगठित और सशक्त बनाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
देश, विदेश, मनोरंजन, स्वास्थ्य और स्पोर्ट जैसी महत्वपूर्ण खबरों को विस्तार से समझने के लिए हमारे ब्लॉग को सब्सक्राइब एवं हमारे FB पेज को फॉलो जरूर करें..