Maharashtra Election 2024 : बीजेपी और सहयोगी दलों के बीच सीटों का बंटवारा
Maharashtra Election 2024 को लेकर राजनीतिक माहौल तेजी से गर्मा रहा है। हाल ही में बड़ी खबर आई है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) 150 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इसके साथ ही शिवसेना (शिंदे गुट), बीजेपी और अजीत पवार की एनसीपी के बीच सीटों का बंटवारा लगभग तय हो चुका है। सूत्रों के अनुसार, अजीत पवार की एनसीपी 40 से 50 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है, जबकि शिंदे गुट को 90 सीटें मिलेंगी।
बीजेपी का सीटों पर प्रभुत्व
महाराष्ट्र में बीजेपी का चुनावी रणनीति के तहत सीटों का बंटवारा काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। एनसीपी और शिवसेना (शिंदे गुट) के बीच सत्ता संतुलन कायम करने के साथ ही बीजेपी का वर्चस्व दिखाई दे रहा है। एनसीपी और शिवसेना के समर्थन के बावजूद बीजेपी सीटों की बड़ी हिस्सेदारी लेकर आगे बढ़ रही है। इससे साफ है कि बीजेपी अपने गठबंधन सहयोगियों को अपने तरीके से चुनावी राजनीति में इस्तेमाल कर रही है।
गठबंधन दलों पर दबाव : Maharashtra Election 2024
बीजेपी का अपने सहयोगी दलों पर दबाव स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। सूत्रों के अनुसार, बीजेपी अपने साथियों को राजनीतिक दबाव में लेकर उनसे कम सीटें ले रही है। इसका मुख्य कारण यह भी हो सकता है कि सहयोगी दलों को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की कार्रवाई का डर है, जिससे वे बीजेपी की शर्तों पर सहमत हो रहे हैं। बीजेपी का समर्थन पाकर सहयोगी दलों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त हो रहा है, लेकिन उन्हें अपनी सीटों पर समझौता करना पड़ रहा है।
हिंदू वोटबैंक और विकास की राजनीति
बीजेपी की रणनीति सिर्फ सीटों पर ही नहीं बल्कि हिंदू वोटबैंक पर भी केंद्रित है। भारतीय जनता पार्टी हमेशा से अपने ‘सबका साथ, सबका विकास’ के नारे के साथ आगे बढ़ती रही है, लेकिन समय-समय पर मुस्लिम वोटों को लेकर विवादास्पद बयान भी सामने आते रहे हैं।
शिवसेना के नेता बाला साहेब ठाकरे का एक दृष्टिकोण था कि राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता में संतुलन होना चाहिए। उनके विचार थे कि कोई भी धर्म हो, राष्ट्रवादी होना महत्वपूर्ण है। हालांकि, बीजेपी की बदलती राजनीति ने अब इस विचारधारा को अलग कर दिया है। जहां एक तरफ बीजेपी हिंदू धर्म के प्रति गर्व का प्रदर्शन करती है, वहीं दूसरी ओर मुसलमानों और अन्य धर्मों के खिलाफ विभाजनकारी बयानबाजी भी की जा रही है।
राजनीतिक दलों के विचारों में अंतर
Maharashtra Election 2024 के मद्देनजर बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी के गठबंधन में भी मतभेद नजर आ रहे हैं। शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) और बीजेपी के बीच हिंदुत्व को लेकर नजरिया काफी अलग है। उद्धव ठाकरे ने हमेशा से बाला साहेब ठाकरे की विचारधारा को आगे बढ़ाया है, जो सर्व पंथ समभाव और धर्मनिरपेक्षता का समर्थन करता है। वहीं, बीजेपी की राजनीति अब धर्म के आधार पर वोट बैंक तैयार करने पर केंद्रित हो गई है।
इसका उदाहरण पश्चिम बंगाल में भी देखा गया है, जहां राज्य के मंत्री फरहाद हाकिम ने एक वीडियो में गैर-मुसलमानों को ‘अभागा’ कहा था। वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान भी विवादित बयान सामने आए थे, जिसमें हिंदू धर्म की आलोचना की गई थी। इन घटनाओं से स्पष्ट है कि राजनीतिक दलों के बीच धार्मिक मुद्दों पर मतभेद गहरे हैं।
महाराष्ट्र की राजनीति में गठबंधन की चुनौती
महाराष्ट्र की राजनीति में गठबंधन सरकार चलाना हमेशा से एक चुनौती रही है। बीजेपी, एनसीपी और शिवसेना (शिंदे गुट) के बीच सीटों का बंटवारा हो चुका है, लेकिन इसके बावजूद गठबंधन के भीतर असंतोष के संकेत नजर आ रहे हैं। शिवसेना के नेता उद्धव ठाकरे के प्रति समर्थन कम हो रहा है और उनके बेटे आदित्य ठाकरे के नेतृत्व में पार्टी एक नई दिशा की ओर बढ़ रही है। वहीं, एनसीपी भी अपने भीतर अलग-अलग धड़ों में बंटी हुई है।
इस चुनाव में सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या बीजेपी अपने सहयोगियों के साथ एक स्थिर और मजबूत सरकार बना पाएगी, या फिर गठबंधन के भीतर मतभेद चुनाव के बाद बढ़ेंगे।
निष्कर्ष
Maharashtra Election 2024 को लेकर बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के बीच सीटों का बंटवारा महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला है। बीजेपी 150 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़कर राज्य में अपने वर्चस्व को मजबूत करने की कोशिश कर रही है, जबकि एनसीपी और शिवसेना (शिंदे गुट) कम सीटों पर संतोष करने के लिए मजबूर हो सकते हैं। राजनीतिक दलों के बीच धर्म, जाति और वोट बैंक की राजनीति से चुनावी माहौल और भी गर्मा गया है।