Big News 2025 : संसद में हंगामा! Waqf Amendment Bill पर नीतीश-नायडू का मास्टरस्ट्रोक, विपक्ष चौंका!

वक्फ संशोधन विधेयक 2025 (Waqf Amendment Bill): नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू की भूमिका और संसद में पारित होने की पूरी कहानी

भूमिका

भारतीय संसद में वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 (Waqf Amendment Bill) को पारित करने की प्रक्रिया काफी उतार-चढ़ाव से भरी रही। इस विधेयक को पारित कराने में जनता दल (यूनाइटेड) के नेता नीतीश कुमार और तेलुगू देशम पार्टी (TDP) के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू की भूमिका अहम रही। दोनों नेता NDA गठबंधन का हिस्सा हैं, और इनके समर्थन से सरकार को बहुमत प्राप्त करने में मदद मिली।

नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू की भूमिका

केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने फरवरी 2025 में यह स्पष्ट किया कि नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू ने इस विधेयक को समर्थन दिया है। उन्होंने यह भी दावा किया कि कुछ मुस्लिम सांसद निजी तौर पर इस बिल का समर्थन कर रहे थे, लेकिन अपनी पार्टियों के दबाव के चलते सार्वजनिक रूप से विरोध कर रहे थे।

नीतीश कुमार ने शुरू में इस विधेयक को लेकर अपने गठबंधन सहयोगियों और मुस्लिम समुदाय के नेताओं के साथ कई दौर की बैठकें कीं। उनकी मुख्य चिंता यह थी कि इस विधेयक से अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। जब सरकार ने कुछ प्रावधानों को स्पष्ट किया और यह आश्वासन दिया कि यह मुस्लिम समुदाय के लिए फायदेमंद होगा, तब उन्होंने विधेयक को समर्थन देने का निर्णय लिया।

चंद्रबाबू नायडू की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही। उनकी पार्टी TDP आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में मजबूत पकड़ रखती है, जहाँ मुस्लिम मतदाता एक महत्वपूर्ण समूह हैं। शुरू में वे इस विधेयक पर तटस्थ रुख अपनाए हुए थे, लेकिन बाद में जब सरकार ने JPC रिपोर्ट के आधार पर संशोधन किए और इस विधेयक को पारदर्शिता लाने वाला बताया, तब उन्होंने NDA के साथ इस बिल के समर्थन में खड़े होने का निर्णय लिया।

विपक्ष ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू ने राजनीतिक लाभ के लिए इस विधेयक का समर्थन किया, लेकिन दोनों नेताओं ने इसे पारदर्शिता और प्रशासनिक सुधारों के लिए जरूरी कदम बताया।

विधेयक पारित होने की प्रक्रिया

विधेयक की प्रस्तुति और JPC को संदर्भण

8 अगस्त 2024 को केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने वक्फ संशोधन विधेयक 2024 (Waqf Amendment Bill) को लोकसभा में प्रस्तुत किया। इस विधेयक को लेकर राजनीतिक और सामाजिक संगठनों में व्यापक बहस शुरू हो गई। विवादों को ध्यान में रखते हुए इसे संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेज दिया गया।

JPC की रिपोर्ट और सिफारिशें

JPC ने इस विधेयक से संबंधित विभिन्न हितधारकों, जैसे वक्फ बोर्ड, अल्पसंख्यक आयोग, और राज्य सरकारों के अधिकारियों के साथ विस्तृत चर्चा की। रिपोर्ट में यह सिफारिश की गई कि वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता बढ़ाने के लिए कड़े प्रावधान जोड़े जाएं। हालांकि, विपक्षी दलों ने इसे मुस्लिम समुदाय के खिलाफ साजिश करार दिया।

समिति की अवधि बढ़ाई गई

JPC को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए पहले नवंबर 2024 तक का समय दिया गया था, लेकिन जटिल मुद्दों के कारण इसकी अवधि 2025 के बजट सत्र के अंत तक बढ़ा दी गई।

कैबिनेट की स्वीकृति और संसद में पुनर्प्रस्तुति

JPC की रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय कैबिनेट ने फरवरी 2025 में विधेयक को मंजूरी दी। इसके बाद इसे दोबारा लोकसभा में पेश किया गया, जहाँ इस पर व्यापक चर्चा हुई।

लोकसभा में मतदान

2 अप्रैल 2025 को लोकसभा में विधेयक पर मतदान हुआ। कुल 288 सांसदों ने इसके समर्थन में मतदान किया, जबकि 232 सांसदों ने विरोध किया। नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के समर्थन से यह विधेयक आसानी से पारित हो गया।

राज्यसभा में बहस

लोकसभा में पारित होने के बाद, 3 अप्रैल 2025 को यह विधेयक राज्यसभा में प्रस्तुत किया गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक विपक्ष राज्यसभा में इस बिल का जोरदार विरोध करेगा, लेकिन एनडीए की संख्या बल के चलते यह विधेयक राज्यसभा में भी पारित हो जाएगा।

विधेयक के प्रमुख प्रावधान

  • राज्य वक्फ बोर्डों में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए नए प्रावधान जोड़े गए।
  • विवादित वक्फ संपत्तियों के स्वामित्व पर निर्णय लेने का अधिकार सरकारी अधिकारियों को दिया गया।
  • राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति का प्रावधान शामिल किया गया।

समर्थन और विरोध

विधेयक के समर्थकों का कहना था कि इससे वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार होगा और भ्रष्टाचार कम होगा। दूसरी ओर, मुस्लिम संगठनों और विपक्षी दलों ने इसे मुस्लिम समुदाय के अधिकारों में हस्तक्षेप बताया।

निष्कर्ष

वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 (Waqf Amendment Bill) भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के समर्थन से यह विधेयक पारित हो सका। हालांकि, इसके प्रभाव को लेकर समाज में बहस जारी है। सरकार का कहना है कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के हित में है, जबकि विरोधियों का मानना है कि इससे वक्फ संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ जाएगा। आने वाले समय में इसके असर को लेकर और भी चर्चाएँ होंगी।

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