
Maharashtra Election 2024: सियासत, बयानबाज़ी और मुद्दों की गर्माहट
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक दलों के बीच बयानबाजी का स्तर तीखा और आक्रामक होता जा रहा है। इस चुनावी महासमर में हर पार्टी अपने-अपने एजेंडे और रणनीतियों के साथ मैदान में उतरी है। बीजेपी हिंदुत्व के एजेंडे पर जोर दे रही है, तो महाविकास अघाड़ी गठबंधन मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण के प्रयासों में जुटा है।
चुनाव प्रचार में हिंदुत्व और तुष्टीकरण की राजनीति
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने Maharashtra Election 2024 में हिंदुत्व को अपना मुख्य हथियार बनाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा कि यह लड़ाई “देशभक्तों” और “औरंगजेब को मसीहा मानने वालों” के बीच है। उन्होंने विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी पर “तुष्टीकरण की राजनीति” करने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि शिवाजी महाराज के आदर्शों पर चलने के बजाय, विपक्ष “औरंगजेब का महिमामंडन” कर रहा है।
दूसरी ओर, कांग्रेस और महाविकास अघाड़ी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए बीजेपी पर सांप्रदायिक राजनीति करने का आरोप लगाया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि उनकी पार्टी ने हमेशा संविधान और धर्मनिरपेक्षता को प्राथमिकता दी है।
ओवैसी का पलटवार और इतिहास का जिक्र
बीजेपी की ओर से औरंगजेब और हिंदुत्व के मुद्दे पर हमले तेज होने के बाद, एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी जोरदार पलटवार किया। उन्होंने कहा कि 1818 में अंग्रेजों के खिलाफ मराठा सेना में मुसलमान भी लड़े थे। ओवैसी ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वह ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश कर रही है और सांप्रदायिक विभाजन को बढ़ावा दे रही है।
मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति
मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण का मुद्दा भी Maharashtra Election 2024 में जोर पकड़ रहा है। बीजेपी ने आरोप लगाया है कि महाविकास अघाड़ी ने मुस्लिम उलेमाओं से समर्थन पाने के लिए उनकी शर्तों को स्वीकार किया है। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि “वोट पाने के लिए महाविकास अघाड़ी मुस्लिम उलेमाओं के सामने झुक रही है।”
हालांकि, महाविकास अघाड़ी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे बीजेपी की “ध्रुवीकरण की रणनीति” बताया।

शिवाजी बनाम औरंगजेब: चुनाव का मुख्य मुद्दा
इस बार Maharashtra Election 2024 में शिवाजी और औरंगजेब के नामों का जमकर इस्तेमाल हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी नेताओं ने बार-बार शिवाजी महाराज के आदर्शों का हवाला देते हुए कहा कि महाराष्ट्र की जनता को यह तय करना है कि वे अगले पांच साल शिवाजी के रास्ते पर चलेंगे या औरंगजेब के।
वहीं, विपक्ष ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि बीजेपी इतिहास के नाम पर केवल ध्रुवीकरण कर रही है और असली मुद्दों से ध्यान भटका रही है।
मर्यादा और भाषा की सीमाएं टूटीं
इस चुनाव प्रचार में बयानबाजी का स्तर बेहद नीचा होता दिखा। एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष पर “औरंगजेब को मसीहा” मानने का आरोप लगाया, तो दूसरी ओर विपक्षी नेताओं ने बीजेपी पर संविधान का अपमान करने और बाबा साहेब अंबेडकर की विरासत को कमजोर करने का आरोप लगाया।
बयानबाजी इतनी तीखी हो चुकी है कि राजनीतिक मर्यादा और भाषा की सभी सीमाएं टूट गई हैं। नेताओं के तीखे बयान और व्यक्तिगत हमले महाराष्ट्र की राजनीति में असहज स्थिति पैदा कर रहे हैं।
महाराष्ट्र की जनता के लिए फैसला मुश्किल
Maharashtra Election 2024 का परिणाम महाराष्ट्र की जनता के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह चुनाव केवल यह तय नहीं करेगा कि अगले पांच साल सत्ता में कौन रहेगा, बल्कि यह भी तय करेगा कि महाराष्ट्र का भविष्य किस दिशा में जाएगा। क्या राज्य हिंदुत्व और इतिहास के मुद्दों पर आगे बढ़ेगा, या संविधान और धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों को प्राथमिकता देगा?
निष्कर्ष
Maharashtra Election 2024 न केवल सत्ता की लड़ाई है, बल्कि विचारधाराओं और भविष्य की दिशा तय करने का संग्राम है। बयानबाजी और राजनीतिक हमले भले ही चुनावी माहौल को गर्म कर रहे हों, लेकिन अंततः फैसला महाराष्ट्र की जनता को करना है। यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता किन मुद्दों को प्राथमिकता देती है—धर्म, इतिहास, या विकास।
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(डिस्क्लेमर: यह लेख राजनीतिक निष्पक्षता के साथ लिखा गया है और इसमें सभी पक्षों के विचारों को प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।)