Haryana Election 2024 : हरियाणा चुनाव में भाजपा की जीत का राज़ और चार चाणक्यों की भूमिका

हरियाणा में भाजपा की ऐतिहासिक जीत: पर्दे के पीछे कौन हैं ये चार चाणक्य?

Haryana Election 2024 के नतीजे इस बार बेहद दिलचस्प रहे। कुल 90 सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला था। बीजेपी ने 48 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस ने 37 सीटों पर जीत दर्ज की। INDL को 2, निर्दलीय 3, पूर्व मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला बुरी तरह चुनाव हारे, उनकी पार्टी जननायक जनता पार्टी सभी सीटे हारी।

हरियाणा में इस चुनाव के exit poll सत्ता में बदलाव की ओर इशारा कर रहे थे मगर हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 48 सीटों के साथ एक बार फिर से सत्ता में वापसी कर इतिहास रचा है। यह तीसरी बार है जब भाजपा ने राज्य में सरकार बनाने जा रही है, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है।

खास बात यह है कि यह जीत तब हासिल की गई है जब पार्टी को किसान आंदोलन, पहलवानों के विरोध और जवानों के मुद्दों जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था। इस चुनावी जीत ने सभी को हैरान कर दिया है, लेकिन इसके पीछे चार प्रमुख रणनीतिकारों की भूमिका रही है, जिन्हें भाजपा के “चार चाणक्य” कहा जा रहा है।

तो आइए जानते हैं, इन चारों चाणक्यों के बारे में और कैसे उन्होंने भाजपा को हरियाणा में लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी दिलाई।

1. विप्लव देव: रणनीति के मास्टरमाइंड

भाजपा की जीत के पीछे सबसे अहम नाम है विप्लव देव का, जो हरियाणा के पार्टी प्रभारी थे। दो साल पहले विनोद तावड़े की जगह उन्हें हरियाणा का प्रभारी नियुक्त किया गया था।

विप्लव देव ने हरियाणा की राजनीतिक स्थिति को समझने में गहराई से काम किया और पिछले कुछ महीनों में कई बड़े बदलाव किए। उन्होंने भाजपा सरकार और संगठन को न केवल सुदृढ़ किया बल्कि उनके कुशल नेतृत्व और सटीक रणनीतियों ने पार्टी को लगातार तीसरी बार जीत दिलाई।

विप्लव देव का अनुभव हरियाणा की जमीनी राजनीति को समझने में काम आया। उन्होंने छोटे-छोटे मुद्दों पर ध्यान दिया और चुनावी रणनीतियों को सूझबूझ के साथ लागू किया। उनका माइक्रो-मैनेजमेंट स्टाइल पार्टी को मजबूत बनाने में सहायक सिद्ध हुआ।

2. सुरेंद्र नागर: जातिगत समीकरणों के माहिर

भाजपा की इस ऐतिहासिक जीत में दूसरा महत्वपूर्ण नाम है सुरेंद्र नागर का। राज्यसभा सांसद सुरेंद्र नागर को हरियाणा चुनाव के लिए सह प्रभारी बनाया गया था। गुर्जर समाज में उनकी गहरी पैठ है, और उन्होंने इस चुनाव में इस ताकत का बेहतरीन इस्तेमाल किया। नागर ने जातिगत समीकरणों को साधने में महारत हासिल की और इसी का नतीजा रहा कि भाजपा को बड़ी संख्या में मतदाताओं का समर्थन मिला।

विप्लव देव के साथ मिलकर सुरेंद्र नागर ने भाजपा की चुनावी रणनीति को जातीय आधार पर तैयार किया। उन्होंने सुनिश्चित किया कि भाजपा के उम्मीदवारों का चयन उसी हिसाब से हो, ताकि हर जाति और समुदाय का समर्थन पार्टी को मिल सके। उनके इस योगदान से भाजपा को व्यापक समर्थन हासिल हुआ।

3. धर्मेंद्र प्रधान: केंद्रीय नेतृत्व का मजबूत समर्थन

भाजपा की इस जीत में तीसरा बड़ा नाम है केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का। उन्होंने विप्लव देव और सुरेंद्र नागर के साथ मिलकर पार्टी के लिए बेहतरीन रणनीतियों का निर्माण किया। धर्मेंद्र प्रधान लगातार हरियाणा का दौरा करते रहे और जमीनी हकीकत को समझते हुए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को सही समय पर सही फैसले लेने की सलाह दी। उनकी रणनीति का ही परिणाम था कि भाजपा विरोधी दलों के मंसूबे ध्वस्त हो गए।

धर्मेंद्र प्रधान की सलाह पर पार्टी ने कई बड़े फैसले लिए, जिनमें किसान और जवानों से जुड़े मुद्दों को प्रमुखता से उठाना शामिल था। इसके अलावा, उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि भाजपा के चुनावी प्रचार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका और छवि को प्रभावी तरीके से पेश किया जाए, जिससे मतदाताओं में पार्टी के प्रति विश्वास बढ़े।

4. सतीश पुनिया: जाट वोट बैंक साधने में महारत

भाजपा की इस चुनावी जीत में चौथा अहम नाम है सतीश पुनिया का। पुनिया राजस्थान में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं और उनके नेतृत्व में भाजपा ने राजस्थान में भी शानदार प्रदर्शन किया था। हरियाणा चुनावों में पुनिया को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई, और उन्होंने अपने जाट नेता की छवि का बखूबी इस्तेमाल करते हुए पार्टी को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

पुनिया ने जाट मतदाताओं के बीच भाजपा की पैठ मजबूत की और यह सुनिश्चित किया कि पार्टी को इस समुदाय का भरपूर समर्थन मिले। उन्होंने चुनावी अभियान में जाट वोट बैंक को साधने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिनसे भाजपा की स्थिति मजबूत हुई।

भाजपा की जीत के पीछे की रणनीति

Haryana Election 2024 : भाजपा की इस ऐतिहासिक जीत के पीछे चारों रणनीतिकारों की सूझबूझ और मेहनत का नतीजा है। इन्होंने हरियाणा के चुनावी मैदान में कई चुनौतियों का सामना किया, जिसमें किसान आंदोलन, पहलवानों के विरोध और जवानों के मुद्दे प्रमुख थे। लेकिन इन चारों ने चुनावी सीटों को आपस में बांटकर माइक्रो-मैनेजमेंट की रणनीति अपनाई।

हर प्रभारी ने अपनी जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन किया और जातिगत समीकरणों को साधने में सफल रहे। इन्होंने उम्मीदवारों का चयन उसी आधार पर किया और हर सीट पर अलग-अलग मुद्दों को प्रमुखता दी।

भाजपा ने किसानों के लिए 24 फसलों पर एमएसपी देने का वादा किया, जो किसानों के बीच लोकप्रिय रहा। इसके अलावा, भाजपा ने अग्निवीरों के लिए पेंशन वाली नौकरी की पेशकश की, जिसने जवानों के परिवारों का समर्थन प्राप्त किया। “बिना खर्ची, बिना पर्ची” का नारा युवाओं के बीच काफी पसंद किया गया, जिससे भाजपा को युवा मतदाताओं का भी समर्थन मिला।

खट्टर का चेहरा क्यों छिपाया गया? : Haryana Election 2024

इस चुनावी रणनीति में भाजपा ने एक और बड़ा कदम उठाया। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के चेहरे को प्रचार अभियान से दूर रखा गया ताकि उनके खिलाफ जनता की नाराजगी का असर न हो। खट्टर को हटाने का फैसला सही साबित हुआ और पार्टी ने नए चेहरों को आगे बढ़ाकर चुनाव प्रचार किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को आगे करके चुनावी अभियान को चलाया गया और नायब सिंह सैनी जैसे नेताओं को भी प्रमुखता दी गई, जो अपनी मिलनसार छवि के लिए जाने जाते हैं।

Haryana Election 2024

निष्कर्ष

हरियाणा में भाजपा की जीत कोई संयोग नहीं थी, बल्कि इसके पीछे चार चाणक्यों की सूझबूझ और मेहनत छिपी थी। विप्लव देव, सुरेंद्र नागर, धर्मेंद्र प्रधान और सतीश पुनिया ने मिलकर भाजपा को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई। इन्होंने न केवल चुनावी रणनीतियों को बखूबी लागू किया बल्कि पार्टी के लिए मतदाताओं के बीच विश्वास भी पैदा किया।

Haryana Election 2024 भाजपा की यह जीत बताती है कि राजनीति में सही समय पर सही फैसले लेना कितना महत्वपूर्ण होता है। इन चार चाणक्यों की कुशल रणनीति ने ही भाजपा को तीसरी बार हरियाणा की सत्ता दिलाई है।

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